________________
विषय
( ३ )
आत्मा और अनात्माका इतरेतराध्यास तत्त्वदर्शनसे विद्याकी निवृत्ति इतरेतराध्यासके फलका उपसंहार जड़वस्तु का मिथ्यात्व
प्रपञ्चके मिथ्यात्व का उपसंहार
विद्याका फल और अध्याय का उपसंहार तृतीय अध्याय
इस अध्याय की पूर्वाध्याय से सङ्गति, वाक्य से अज्ञानकी निवृत्ति, वाक्यके व्याख्यानका उपक्रम, पद, पदार्थ और प्रत्यगात्माका सामानाधिकरण्य, विशेषण विशेष्यता और लक्ष्य लक्षण सम्बन्ध ज्ञानसाधनविषयिणी प्रवृत्ति विधिप्रयुक्त है।
सांख्योंकी शंका और उसका समाधान
उपायान्तर से कैवल्यपक्षका निराकरण
लक्ष्यलक्षणकी व्याख्या
'परिणामी (अहंकार) और कूटस्थ ( आत्मा ) का लक्षण ज्ञान के कारण ही अहंकार और आमाका सम्बन्ध है, वास्तविक नहीं, यह प्रतिपादन
प्रतिबन्धकी निवृत्ति होने पर ही वाक्य द्वारा आत्मज्ञान होता है। वाक्य अन्वयव्यतिरेक द्वारा आत्माका प्रतिपादन करता है, इसकी पुष्टि के लिए श्रुतिका उदाहरण तत्त्वमस्यादि वाक्य में प्रत्यक्षादि विरोध नहीं है, इसका उपसंहार अतीन्द्रिय पदार्थ में अभिधाश्रति ( तत्त्वमस्यादि वाक्य ) का प्रामाण्य प्रतिपादन
...
: : :
:::
...
उक्त युक्तियों द्वारा आत्माके प्रमाणान्तरागोचरत्वका निराकरण पूर्वाध्यायोक्त (आत्मज्ञानोपयोगी ) अन्वयव्यतिरेकका पुनः संक्षेप से वर्णन
साङ्ख्यमतका उत्थापन और उसका समाधान
...
लोक
१०१
१०३
१११
११४
११६
११६
३
७
११
१६-१७
२०
२६
३६
४४
४७
५२
५४
५७