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________________ सवत 1871 मे तत्वार्थ सत्र की पुन प्रतिलिपि करवायी गयी और उसे शास्त्र भण्डार मे विराजमान किया गया। प्रतिलिपि सागानेर (जयपुर) मे हुई थी तथा प्रतिलिपि करवाने वाले थे सुश्रावक दयाचन्द ।। मुलतान मे श्रावक रूपलाल थे। उन्हे स्वाध्याय की रुचि थी इसलिये सवत 1880 मे नेमिचन्द्रिका की एक पाण्डुलिपि उन्होने वजरगलाल कन्नोज वाले से प्राप्त की तथा स्वाध्याय के पश्चात उसे मुलतान के शास्त्र भण्डार को भेट कर दी ।' रूपलाल ने मनोहरलाल खण्डेलवाल कृत धर्म परीक्षा की पाण्डुलिपि फरक्कावाद मे लिखवा कर प्राप्त की और उसे भी स्वाध्याय के पश्चात शास्त्र भण्डार को भेट कर दी । सवत 1911 मे चौबीस महाराज मण्डल पूजा की प्रतिलिपि देहली मे करवायी गयी। जयपुर प्रतिष्ठा मे भाग लेना सम्वत् 1861 मे जयपुर नगर मे एक बडे भारी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन हुआ। उसके आयोजक थे श्री नन्दलाल जी छावडा। यह प्रतिष्ठा महोत्सव एक दृष्टि से राजस्थान मे होने वाले पचकल्याण प्रतिष्ठा महोत्सवो मे विशाल स्तर पर मनाये जाने वाले प्रतिष्ठा महोत्सवो मे से एक था। जिसमे हजारो की संख्या मे 1. सूत्र टीका : हिन्दी । पत्र संख्या 190 संवत क्षपानाथ गजाद्रिचद्रे पोषे सिते भत तिथौ कवौ च । व्यलेखि सग्रामपुरे मयैषा ग्रन्थश्चिरं तिष्ठतु वाच्यमान । सुश्रावक दयाचंद जी लिखायिता स्ववाचनार्थ । 2. नेमचन्द्रिका : एक सहस अरु अठ सत वरष असीती और । याही संवत मौ करी पूरन यहु गुनगौर । फाल्गुरणस्य तमौ पक्षे अष्टम्यां बुधवासरे। कृते मुन्नूलालस्य लिपि एषा विनिर्मिता। पौथी इह रूपालाल मूलतानी की मनरगलाला कनोजवाले दीना पढता अरथ फरका का विच . सवालाल दीनी। 3. धरमपरीक्षा-मनोहरलाल खण्डेलवाल । लिपि संवत 1871। श्री शास्त्र जी लिखाई फरक्कावाद मध्ये रूपालाल मुलतान वाले वचनार्थ मिति सुदी 12 संवत 1909 चौबीस महाराज मण्डल की पूजा-वृन्दावन पृष्ठ 76 लिखते नानगचन्द श्रावक जैसवाल बीसपंथी मूलसंघी हवेली पालम मध्ये जेष्ठ कृष्णा 2 सवत 1911 पुस्तक लिखवाई रूपलाल श्रावक मुलतान वाले ने इन्द्रप्रस्थ मध्ये । 38 ] • मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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