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पाकिस्तान वनने पर जव मारकाट होने लगी व देहातो से भाग भाग कर लोग डरागाजीखान मे आने लगे तो आपने अपने मुहल्ले मे कैम्प लगा कर काफी लोगो को आश्रय दिया तथा जैन समाज की ओर से सैकडो व्यक्तियो को भोजनादि की कई दिनो तक व्यवस्था की तथा दि० जैन समाज के कई परिवार जो अपनी दुकाने आदि बद करके भारत चले गये थे, अथवा जो परिवार वहा मौजूद भी थे उस विपत्ति की घडी मे अपनी जान की परवाह न करते हुए उनकी दुकाने खुलवाकर अथवा उनका माल आदि विकवाकर जो भी धनराशि एकत्रित हो.सकी उसे.इकट्ठा करके सवधित व्यक्तियो को दिलवा दी अथवा भिजवा दी।
उस कठिन समय मे जव सब लोग अपने अपने परिवारो को सुरक्षित भारत पहुँचाने की चिंता मे ग्रस्त थे उस समय आपने तथा दीवानचन्द जी सिंगवी ने अथक प्रयत्न करके पूरी समाज, जिन प्रतिमाओ एव हस्तलिखित शास्त्र भण्डार को सुरक्षित भारत ले आने का साहसिक कार्य किया।
डेरागाजीखान से आने के पश्चात् आप जयपुर मे बस गये और वहा भी अपने परिवार के साथ उसी सस्थान के नाम से अपना व्यवसाय करने लगे।
जयपुर आकर आपने रुचि लेकर दि० जैन मन्दिर आदर्शनगर का निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया तथा आप सन् 1965 मे मुलतान दि० जैन समाज के अध्यक्ष पद पर आसीन होकर समाज के कई प्रमुख कार्यो को सम्पन्न कराया।
दिनाक 19 जनवरी 1969 को थोडे समय की बीमारी मे आपका असामयिक निधन हो गया।
__ आपकी स्मृति मे आपकी धर्मपत्नी श्रीमती रामोदेवी एवम् तीनो सुपुत्रो ने महावीर कल्याण केन्द्र भवन मे एक अतिथि गृह वनवाकर समाज को अपूर्व सहयोग दिया है । श्री कैलाशचन्द जो, श्री नेमीचन्द जो, श्री ओम प्रकाश जी, आपके तीन सुपुत्र है जो अपने पैतृक मोतीराम कवर भान जैन सस्थान में कार्यरत हैं । आपका निवास स्थान मकान नम्बर 586, गलो नम्बर 3, आदर्शनगर जयपुर, मे है।
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• मुलतान विगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक में