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धार्मिक आस्थावान - मुलतान का दिगम्बर जैन समाज
पं. भवरलाल न्यायतीर्थ सम्पादक 'वीरवाणी' जयपुर ।
मुलतान के दिगम्बर जैन बन्धु सदा से धार्मिक प्रवृत्ति के रहे हैं । वहां तन्तुवमनीपी, तत्वजिज्ञासु और धार्मिक आस्थावालो का बाहुल्य रहा है । दो सौ वर्ष पूर्व भी वहां सिद्धान्तमर्मज्ञ थे और तत्व चर्चा के लिये दूर दूर से सम्पर्क रखते थे । प० टोडरमलजी के समय मे आयोजित विशाल इन्द्रध्वज विधान का निमंत्रण पत्र दूरस्थ कुछ विशिष्ट स्थानो को ही भेजा गया था जिनमे मुलतान भी था ।
मुलतान दिगम्बर जैन समाज की गतिविधियो से उनकी धार्मिक लगन, जैन धर्म मे प्रगाढ भक्ति, व्रत-नियम - पूजा आदि के सबध मे जयपुर मे उनके आ जाने के बाद तो प्रत्यक्ष स्वयं से पूर्व रूप से जानकारी है ही किन्तु थोड़ी बहुत जानकारी आज से करीब 50 वर्ष पूर्व से भी है ।
अकलक प्रेस के मालिक एव पुरानी पीढी के विद्वान प० अजितकुमार जी शास्त्री मुलतान मे रहते थे और उनसे मेरा काफी परिचय था । उन दिनो दि० जैन शास्त्रार्थ सघ का कार्यक्षेत्र अधिकतर उधर ही था । अम्बाला मुख्य कार्यालय था जहा प० राजेन्द्र कुमार जी रहते थे । शास्त्रार्थ सघ के विद्वानो का वहा जमघट रहता था । मुलतान के बन्धु उनके सम्पर्क मे आते रहते थे । शास्त्रार्थ सघ की ओर से एक पत्र भी चालू हुआ था - जिसका नाम 'जैन दर्शन' था । उसके सम्पादक थे श्रद्धय गुरुवर्य प० चैनसुखदासजी, प० अजित कुमार जी, प० कैलाश चन्द जी । उसका प्रकाशन मुलतान से होता था और सम्पादन का कार्य जयपुर मे पडित चैनसुखदासजी साहव करते थे । उनके सम्पर्क मे मेटर जुटाना, भेजना और तत्सबधी लिखापढी करने का सौभाग्य मुझे आया था । मैने यही से कुछ लिखना सीखा । इससे प० अजितकुमारजी के सम्पर्क मे मे आया व मुलतान दि० जैन समाज की गतिविधियो से परिचित हुआ । पडितजी के पत्रो मे और यदा कदा जब मिलते मुलतान के जैन बन्धुओ की चर्चा वे करते रहते थे । भूकम्प के समय एक पत्र मे उन्होने लिखा था कि पडित जी के नेतृत्व मे मुलतान जैन युवको के स्वयसेवको के रूप मे भूकम्प पीडितो की मुलतान स्टेशन पर बडी सेवा सुश्रुपा की । एक रुदन भरा पत्र था उनका । एक अकलक स्वयसेवक दल भी उधर बना था जिसके माध्यम से सेवा के कार्य होते थे ।
उन दिनो आर्य समाज के साथ शास्त्रार्थ उधर बहुत होते थे | आर्य समाज के प्रबल समर्थक स्वामी कर्मानन्दजी को जैन धर्म में दीक्षित करने आदि कार्यों मे मुलतान
• मुलतान दिगम्बर जैन समाज इतिहास के मालोक मे
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