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* श्री सर्वज्ञ वीतरागाय नमः
श्रीमदाचार्य उमास्वामि विरचित माक्षशास्त्र
गुजराती टीका का हिन्दी अनुवाद
* मंगलाचरण मोक्षमार्गस्य नेतारं भेचारं कर्मभूभृताम् ।
ज्ञातारं विश्वतत्त्वानां वन्दे तद् गुणलब्धये ॥ अर्थ-मोक्षमार्ग के प्रवर्तक, कर्मरूपी पर्वतों के भेदक अर्थात् नष्ट करनेवाले, तथा विश्व के ( समस्त ) तत्त्वों के जाननेवाले ( आप्त ) को उनके गुणों की प्राप्ति के हेतु मैं प्रणाम करता हूँ-वन्दना करता हूँ।
संक्षिप्त अवलोकन (१) इस शास्त्र को प्रारम्भ करने से पूर्व सक्षेप में यह बताना आवश्यक है कि इस शास्त्र का विषय क्या है ?
(२) प्राचार्यदेवने इस शास्त्रका नाम 'मोक्षशास्त्र' अथवा 'तत्त्वार्थसूत्र' रखा है। जगतके जीव अनन्त प्रकारके दुःख भोग रहे हैं, और उन दुःखों से सदाके लिए मुक्त होने अर्थात् अविनाशी सुख प्राप्त करने के लिये रात दिन उपाय कर रहे हैं, किन्तु उनके वे उपाय मिथ्या होने से, जीवो का दुःख दूर नही होता, एक या दूसरे रूप मे दुःख बना ही रहता है ।