SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 673
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय ७ सूत्र २५-२६ अन्नपाननिरोध-प्राणियोंको ठीक समयपर खाना पीना न देना। यहाँ अहिंसाणुनतके अतिचार 'प्राण व्यपरोपण' को नही गिनना, क्योंकि प्राणव्यपरोपण हिंसाका लक्षण है अर्थात् यह अतिचार नही किन्तु अनाचार है । इसके सम्बन्धमें पहले १३ वें सूत्रमे कहा जा चुका है ॥२५॥ __ सत्याणुव्रतके पांच अतिचार मिथ्योपदेशरहोभ्याख्यानकूटलेखक्रियान्यासापहार साकारमन्त्रभेदाः ॥२६॥ अर्थ-[ मिथ्योपदेशरहोभ्याख्यानकूटलेखक्रियान्यासापहारसाकारसन्नभेवाः ] मिथ्या उपदेश, रहोभ्याख्यान, कूटलेखक्रिया, न्यासापहार, और साकारमन्त्रभेद-ये पांच सत्याणुव्रतके अतिचार है। टीका मिथ्याउपदेश-किसी जीवके अभ्युदय या मोक्षके साथ सम्बन्ध रखनेवाली क्रियामें सन्देह उत्पन्न हुआ और उसने आकर पूछा कि इस विषयमे मुझे क्या करना ? इसका उत्तर देते हुये सम्यग्दृष्टि व्रतधारीने अपनी भूलसे विपरीत मार्गका उपदेश दिया तो वह मिथ्या उपदेश कहा जाता है; और यह सत्यागुव्रतका अतिचार है और यदि जानते हुये भी मिथ्या उपदेश करे तो वह अनाचार है। विवाद उपस्थित होनेपर संबंधको छोड़कर असंबंधरूप उपदेश देना सो भी अतिचाररूप मिथ्या उपदेश है। रहोभ्याख्यान-किसीकी गुप्त बात प्रगट करना। कूटलेखक्रिया-परके प्रयोगके वंशसे (अनजानपनेसे ) कोई खोटा लेख लिखना। न्यासापहार-कोई मनुष्य कुछ वस्तु देगया और फिर वापस मांगते समय उसने कम मांगी तब ऐसा कहकर कि 'तुम्हारा जितना हो उतना ले जामो' तथा बादमे कम देना सो ज्यासापहार है।
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy