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सूत्र नम्बर
विषय
१६ वैमानिक देवोंके रहनेका स्थान २० वैमानिक देव में उत्तरोत्तर अधिकता
२१ वैमानिक देवों में उत्तरोत्तर हीनता
शुभ भावके कारण कौन जीव किस स्वर्ग में उत्पन्न होता है।
उसका स्पष्टीकरण
३५६
देवशरीर से छूटकर कौनसी पर्याय धारण करता है उसका वर्णन ३५८
इस सूत्रका सिद्धान्त
३५
२२ वैमानिक देवोंमें लेश्याका वर्णन
२३-२४ कल्प संज्ञा कहॉ तक; लोकान्तिकदेव
२५ लौकान्तिक देवोंके नाम
पत्र संख्या
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३५४
३५५.
२६ अनुदिश और अनुत्तरवासी देवोंके अवतारका नियम
२७ तिर्यच कौन है ?
२८ भवनवासी देवोंकी उत्कृष्ट आयु२६ वैमानिक देवोंकी उत्कृष्ट आयु ३०-३१ सानत्कुमारादिकी भायु
३२ कल्पातीत देवोंकी भायु ३३-३४ स्वर्गोकी जघन्य आयु ३५-३६ नारकियोंकी जघन्य आयु
३७ भवनवासी देवोंकी जघन्य आयु
३८ व्यन्तर देवों की जघन्य आयु ३६ व्यन्तर देवोंकी उत्कृष्ट आयु ४. ज्योतिपी देवोंकी उत्कृष्ट आयु ४१ ज्योतिषी देवोंकी जघन्य आयु ४२ लौकान्तिक देषों की आयु, उपसंहार सप्तभंगी [ स्वान् अस्ति नास्ति ]
माधक जीपको उसके ज्ञानसे लाभ
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