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४८ सूत्र नम्बर विषय
पत्र संख्या १८ अवग्रह ज्ञानमें विशेषता
अर्थावग्रह-व्यंजनावग्रहके दृष्टान्त अव्यक्त-व्यक्तका अर्थ अव्यक्त और व्यक्तज्ञान अर्थात् व्यंजनावग्रह-अर्थावग्रह ईहा, अवाय, धारणाका विशेष स्वरूप एकके बाद दूसरा ज्ञान होना ही है या नहीं? ईहा ज्ञान सत्य है ? धारणा' और 'संस्कार के बारेमें स्पष्टीकरण चार भेदोंकी विशेषता व्यंजनावग्रहज्ञान नेत्र और मनसे नहीं होता श्रुतज्ञानका वर्णन, उत्पत्तिका क्रम तथा उसके भेद श्रुतज्ञानकी उत्पत्तिके दृष्टान्त अक्षरात्मक, अनक्षरात्मक श्रुतज्ञान श्रतज्ञानी उत्पत्तिमें मतिज्ञान निमित्तमात्र है मतिज्ञानके समान ही श्रुतज्ञान क्यों नहीं ? श्रुतज्ञान साक्षात् मतिज्ञानपूर्वक और परम्परा मतिपूर्वक ८३-८४ भावश्रुत और द्रव्यश्रत प्रमाणके दो प्रकार, 'श्रुत' के अर्थ चारह अंग, चौदह पूर्व मति और श्रतज्ञानके बीचका भेद विशेष स्पष्टीकरण
८७ सूत्र ११ से २० तकका सिद्धान्त २१ अवधिज्ञानका वर्णन-भव और गुण अपेक्षासे २२ क्षयोपशम निमित्तक अवधिज्ञानके भेद तथा उनके स्वामी ८६
अनुगामी आदि छह भेदका वर्णन द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव अपेक्षासे अवधिज्ञानका विपय १०-११ क्षयोपशमका अर्थ
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