________________
{
सुमन सौमन
प्रीतिकर
अनुदिश
आदित्य
अचि
अर्चिमाली
वैरोचन
प्रभास
अर्चिप्रभ
श्रर्चिर्मध्य
अचिरावत
अर्चिर्विशिष्ठ
अनुत्तर
विजय
वैजयन्त
जयन्त अपराजित
सर्वार्थसिद्धि
39
"
"
"
»
"
"
"
"
"
»
35
"
35
"
"
"
अह
मिंद्र परमशुक्ल
30
39
३, "
»
"5
59
33
39
19
"9
"
१॥ हाथ
"
"9
"
"
"9
S
»
"
"
»
"
१ हाथ
"
"
""
२६. सागर
३० सागर
३१ सागर
३२ सागर
"
»
"
39
"
"
39
"
३३ सागर
"
"
39
२५ सागर
२६ सागर
३० सागर
३१ सागर
"}
39
39
"
"
39
"
"
३३ सागर
"
»
उत्पन्न नहीं
होती
"
RAR
"
16
"
39
"
"
59
35
39
"
»
»
"
जघन्य आयु नहीं होती " नोट:---१ वैमानिक देवोंके स्वर्ग १६ हैं, परन्तु उनके इन्द्र १२ हैं । यहाँ इन्द्रों की अपेक्षा से १२ भेद कहे हैं । पहिले के चार तथा अन्तके चार, स्वर्गो में प्रत्येकके एक इन्द्र है और बीचके आठ स्वर्गो में दो दो स्वर्गों के एक इन्द्र हैं। २. पाँचवें स्वर्गमें जो लौकान्तिक देव रहते हैं उनके आयु ८ सागर की होती है।