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४४ कठिन परिश्रम साध्य; उसको पूरा करनेवाले श्री पं० परमेष्ठीदासजी न्यायतीर्थ धन्यवादके पात्र है ।
___इस शास्त्रको प्रथमावृत्ति तथा दूसरी इस आवृत्ति तैयार करने में अक्षरशः मिलान करके जांचनेके कार्य में तथा शास्त्रानुसार स्पष्टता करनेके कार्यमें प्रेम पूर्वक अपना समय देकर बहुत श्रम दिया है उस सहायके लिये श्री ब्र० गुलाबचन्दभाईको प्राभार सह धन्यवाद है।
हिन्दी समाजको इस गुजराती-मोक्षशास्त्र टीकाका लाभ प्राप्त हो इसलिये उसका हिन्दी अनुवादन करानेके लिये तथा दूसरी आवृत्तिके लिये श्री नेमिचन्दजी पाटनीने पुनः पुनः प्रेरणा की थी, और कमल प्रि० प्रेसमें यह शाख सुन्दर रीतिसे छपानेकी व्यवस्था करनेके लिये श्री नेमिचन्दजी पाटनी (प्रधान मन्त्री श्री पाटनी दि० जैन ग्रंथमाला, मारोठ-राजस्थान) को धन्यवाद है।
____ इस प्रथका प्रूफ रीडिंग, शुद्धिपत्र, विस्तृत विषय सूची, शब्दसूचि आदि तैयार करनेका कार्य सावधानीसे श्री नेमीचन्दजी बाकलीवाल (-मदनगंज ) ने तथा ब्र० गुलाबचन्दजीने किया है, अतः उन्हे भी धन्यवाद है। अक्षय तृतीया
रामजी माणेकचन्द दोशी, वीर नि० सम्वत् २४८६
-प्रमुखश्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ़