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मोक्षशास्त्र
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५ १२० वर्ष २० वर्ष ७ हाथ २ हाथ ६ २० वर्ष १५ वर्ष २ हाथ १ हाथ
मनुष्यों का आहार काल
आहार १ चौथे दिन बेर के बराबर एक दिनके अंतरसे बहेड़ा)
तीसरे काल तक भरत (फल) के बराबर
ऐरावत क्षेत्रमे भोगभूमि रहती एक दिनके अंतरसे आंवला )
बराबर रोज एक बार
कई बार ६ अति प्रचुरवृत्ति, मनुष्य नग्न, मछली इत्यादिके आहार, मुनिश्रावकोंका अभाव, धर्मका नाश ॥ २७ ॥
अन्य भूमियोंकी व्यवस्था ताभ्यामपरा भूमयोऽवस्थिताः॥२८॥
अर्थ-भरत और ऐरावत क्षेत्रको छोड़कर दूसरे क्षेत्रों में एक ही अवस्था रहती है-उनमें कालका परिवर्तन नही होता ॥ २८ ॥
हैमवतक इत्यादि क्षेत्रोंमें आयु एकद्वित्रिपल्योपमस्थितयो हैमवतकहारिवर्षकदेव
कुरवकाः ॥ २६ ॥ अर्थ-हैमवतक, हारिवर्षक और देवकुरु ( विदेहक्षेत्रके अन्तर्गत एक विशेष स्थान ) के मनुष्य, तिथंच क्रमसे एक पल्य, दो पल्य और तीन पल्यकी आयुवाले होते हैं।