SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 349
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय २ सूत्र ३२-३३-३४ २७१ कोई उत्पन्न नहीं होता । वंशपत्रयोनिमें शेष गर्भजन्मवाले सब जीव उत्पन्न होते है ॥३२॥ गर्भजन्म किसे कहते हैं ? जरायुजाण्डजपोतानां गर्भः ॥३३॥ अर्थ-[जरायुज अंडज पोतानां] जरायुज, अंडज और पोतज इन तीन प्रकारके जीवोंके [ गर्भः ] गर्भजन्म ही होता है अर्थात् उन जीवोंके ही गर्भजन्म होता है। टीका १. जरायुज-जालीके समान मांस और खूनसे व्याप्त एक प्रकारकी थैलीसे लिपटा हुआ जो जीव जन्म लेता है उसे जरायुज कहते हैं। जैसेगाय, भैस, मनुष्य इत्यादि । अंडज-जो जीव अंडोमे जन्म लेते है उनको अंडज कहते है, जैसेचिड़िया, कबूतर, मोर वगैरह पक्षी। पोतज-उत्पन्न होते समय जिन जीवोके शरीरके ऊपर किसी प्रकारका प्रावरण नही होता उन्हे पोतज कहते है जैसे-सिंह, बाघ, हाथी, हिरण, बन्दर इत्यादि । २-असाधारण भाषा और अध्ययनादि जरायुज जीवोंमें ही होता है, चक्रधर, वासुदेवादि, महाप्रमावशाली जीव जरायुज होते हैं, मोक्ष भी जरायुजको प्राप्त होता है ॥ ३३ ॥ उपपादजन्म किसे कहते हैं ? देवनारकाणामुपपादः ॥ ३४॥ अर्थ-[ देवनारकाणां ] देव और नारकी जीवोके [ उपपादः ] उपपाद जन्म ही होता है अर्थात् उपपाद जन्म उन जीवोके ही होता है। टीका १-देवोके प्रसूतिस्थानमे शुद्ध सुगंधित कोमल सपुटके आकार शय्या होती है उसमे उत्पन्न होकर अंतर्मुहूर्तमे परिपूर्ण जवान हो जाता
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy