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अध्याय १ सूत्र
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टीका
सत् और संख्या-यह द्रव्य गुण पर्यायके सत्त्वकी अपेक्षासे उपभेद है सत् सामान्य और संख्या विशेष है।
क्षेत्र और स्पर्शन-यह क्षेत्रका उपभेद है । क्षेत्र सामान्य और स्पर्शन विशेष है।
काल और अन्तर-यह कालका उपभेद है, काल सामान्य और अंतर विशेष है।
भाव और अल्पवहुत्व-यह भावका उपभेद है, भाव सामान्य है और अल्पबहुत्व विशेष है।
सत्-वस्तुके अस्तित्वको सत् कहते हैं। संख्या- तुके परिमाणोंकी गणनाको संख्या कहते है । क्षेत्र-वस्तुके वर्तमानकालीन निवासको क्षेत्र कहते हैं। स्पर्शन-वस्तुके त्रिकालवर्ती निवासको स्पर्शन कहते है। काल-वस्तुके स्थिर रहनेकी मर्यादाको काल कहते है। अंतर-वस्तुके विरहकालको अतर कहते है ।
भाव-गुणको अथवा औपशमिक, क्षायिक आदि पाँच भावोंको भाव कहते है ।
अल्पवहुत्व-अन्य पदार्थकी अपेक्षासे वस्तुकी हीनता-अधिकताके वर्णनको अल्पबहुत्व कहते है ।
अनुयोग-भगवान प्रणीत उपदेश विषयके अनुसार भिन्न २ अधिकारमे कहा गया है, उस प्रत्येक अधिकारका नाम अनुयोग है । सम्यक्ज्ञान का उपदेश देनेके लिये प्रवृत्त हुए अधिकारको अनुयोग कहते है।
सत् और निर्देशमें अन्तर यदि 'सत्' शब्द सामान्यत:सम्यग्दर्शनादिके अस्तित्वकोवतलानेवाला हो तो निर्देशमे उसका समावेश हो जायगा, किन्तु गति, इन्द्रिय, काय,