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मंगलमन्त्र णमोकार एक अनुचिन
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१५. स्वर, व्यंजन और अक्षरोके योगका अन्योन्य क्रमसे योग करनेपर नारायण, प्रतिनारायण और बलदेवकी संख्या आती है यथा स्वर ३४, व्यंजन ३०, अक्षर ३५; अतः ३० + ३४३ अन्योन्य क्रम योग ९ + ९ = १८, पुन अन्योन्य क्रम योग ९ नारायण, प्रतिनारायण और बलदेवोकी संख्या
१६ णमोकार मन्त्रको मात्राओंका इकाई, दहाई क्रमसे योग करनेपर
चारित्र संख्या आती है । यथा
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५८ मात्राएँ - ८+५= १३ चारित्र । १७. णमोकार मन्त्रकी मात्राओंका इकाई, दहाई क्रमसे गुणा करनेपर जो गुणनफल प्राप्त हो, उसका पारस्परिक योग करनेपर गति कषाय और वन्ध संख्या आती है । यथा ५८ मात्राएँ हैं, अतः ८X ५ = ४०,० + ४ = ४ गति, कषाय और बन्ध संख्या ।
१८. णमोकार मन्त्रकी अक्षर संख्याका परस्पर गुरगा कर गुणनफलमे से सामान्य पद संख्या घटानेपर कर्म संख्या आती है । यथा ३५ १० कम
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प० =
क्रमके अनुसार गुण
t
।
यथा - ३४ स्वर क्रममें शून्य दसके
०X३ = ० इस
अक्षर संख्या, ५ X३ = १५, १५ - ५ सा० १९. स्वर और व्यंजन संख्याका पृथक्त्व अन्योन्य कर योग कर देनेपर परीषह संख्या आती है ३० व्यंजन · ४X३ = १२, तुल्य है । अत १२ + १० = २२ परीषह संख्या ।" २० स्वर और व्यंजन संख्याका जोड कर योगफलकां विरलन कर प्रत्येकके ऊपर दोका अंक देकर परस्पर सम्पूर्ण दोके अंकोंका गुणा करनेपर गुणनफल राशिमे से एक घटा देनेपर समस्त श्रुतज्ञान के
4.4
अक्षरोंका योग आता है । यथा ३४ + ३० = ६४
R २
૩.૨ ૩
. . १ । १ । १ । १ । १ । १ । १ । १ ।१ ........१ 2
= १८४४६७४४०७३७०९५५१६१६ - १ =
१८४४६७४४०७३७०९५५१६१५ समस्त श्रुतज्ञानके अन्तर