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२२० मंगलमन्त्र णमोकार - एक अनुचिन्तन वातें प्रधानरूपसे आती हैं - सचाई, समानता और परोपकार। ये तीनों बातें णमोकार मन्त्रकी आराधनासे ही प्राप्त हो सकती हैं । इस महामन्त्रकामादर्श । हमारे जीवनमे उक्त तीनो बातोंको उत्पन्न करता है। शुद्धात्मा-परमात्मा. के प्रति कर्तव्यमें भक्ति और ध्यानको स्थान प्राप्त होता है । हमे नित्य प्रति शुद्धात्माओंकी पूजा कर उनके आदर्श गुर्गों को अपने भीतर उत्पन्न करनेका प्रयास करना होगा। केवल णमोकार मन्त्रका ध्यान, उच्चारण और स्मरण उपर्युक्त तीनों प्रकारके कर्तव्योके सम्पादनमे परम सहायक है।
प्राय लोग आशंका किया करते है कि बार-बार एक ही मन्त्रके जापसे कोई नवीन अर्थ तो निकलता नही है, फिर ज्ञानमे विकास किस प्रकारहोता है ? आत्माके राग-द्वेष विचारएक ही मन्त्र निरन्तर जपनेसे कैसे दूर हो जाते हैं ? एक ही पद या श्लोक बार-बार अभ्यासमे लाया जाता है, तब उसका कोई विशेष प्रभाव आत्मापर नही पड़ता है। अतः मंगलमन्त्रों के बार-बार जापकी क्या आवश्यकता है ? विशेषतः णमोकारमन्यके सम्बन्धमे यह आशंका और भी अधिक सवल हो जाती है; क्योकि जिन मन्त्रोके स्वामी यक्ष, यक्षिणी या अन्य कोई शासक देव माने जाते हैं, उनमन्त्रोंके वारवार उच्चारणका अभिप्राय उनके अधिकारी देवोको तुलाना या सवंदा उनके साथ अपना सम्पर्क बनाये रखना है। पर जिस मन्त्रका अधिकारी कोई शासक देव नही है, उस मन्त्र के बार-बार पठन और मननसे क्या लाभ? - इस आशंकाका उत्तर एक गणितके विद्यार्थीकी दृष्टिसे बडे सुन्दर ढगसे दिया जा सकता है। दशमलवके गणितमे आवर्त सख्या वार-वार एक ही आती है, पर प्रत्येक दशमलवका एक नवीन अर्थ एव मूल्य होता है । इसी प्रकार णमोकार मन्त्र के बार-बार उच्चारण और मननका प्रत्येक बार नूतन ही अर्थ होगा। प्रत्येक उच्चारण रत्नत्रय गुण विशिष्ट आत्माओंके अधिक समीपले जायेगा ! वह साधक जो निश्छल भावसे अटूट श्रद्धाके साथ इस महामन्त्रका स्मरण करता है, इसके जाप-द्वारा उत्पन्न होनेवाली शक्तिको समझता है। विषयकपायको जीतने के लिए इस महामन्त्रका