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फिर क्या हुआ ?
एक बार भगवान महावीर चौदह हजार साधुओ सहित राजगृह नगर मे पधार कर गुणशील नामक चैत्य मे विराजे । राजा श्रेणिक परिपद् महित उनके दर्शन करने गया । धर्मोपदेश सुनने के बाद परिपद् लौट गई।
___ उस काल की एक घटना है। सौधर्मकल्प मे, दर्दुरावतंसक विमान मे, मुधर्मा नामक सभा मे, ददुर नामक सिहासन पर दर्दुर नामक देव चार हजार सामानिक देवो, चार अग्रमहिपियो और तीन परिपदो, अर्थात् अपने सम्पूर्ण परिवार सहित दिव्य भोगोपभोग करता हुआ रहता था।
वह देव अवधिज्ञानी था ही । अपने विपुल अवधिज्ञान से इस सम्पूर्ण जम्बूद्वीप को देखते-देखते उसने राजगृह नगर मे, गुणशील चैत्य मे भगवन महावीर को देखा। उसकी इच्छा भगवान के दर्शन करने की हुई । अत वह अपने परिवार सहित भगवान के पास आया और सूर्याभदेव के समान नाट्य विधि दिखाकर वापस लौट गया।
कुछ समय वाद गौतम स्वामी ने भगवान से प्रश्न किया
"हे भगवान् । यह दर्दुरदेव महा ऋद्विवान है। किन्तु उस देव की विक्रिया की हई वह दिव्य देव-ऋद्वि कहाँ चलो गई ? वह कहाँ समा गई?"
भगवान ने उत्तर दिया