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महावीर युग को प्रतिनिधि कथाएँ पर आ गिरी। तीनो एक साथ ही उस विशुद्ध भाव-स्थिति मे अपने अपने शरीरो को त्याग कर काल को प्राप्त हुए।
__ मुनि बलभद्र अपना आयुष्य पूर्ण कर ब्रह्म देवलोक में महान ऋद्धिशाली देवता के रूप में जन्मे । रथकार और मृग भी अपनी शुभ भावनाओ के परिणामस्वरूप उसी विमान मे बलभद्र देव के सेवाभावी देव वने ।
ऐसे शुभ संयोग कदाचित् ही उपस्थित होते है। वे जब-जब भी उपस्थित हो, उन्हे पहिचानना चाहिए, और अपने आत्म-कल्याण को साधने मे चूक नही करनी चाहिए।
-त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित