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________________ १६ देवताओं ने क्या देखा ? देवता सुन्दर होते है । किन्नर भी सुनते है कि सुन्दर होते है | आइये, जरा देखे कि मनुष्य भी सुन्दर होते है क्या ? और यह भी देखे कि कौनसे मनुष्य सुन्दर होते है ? क्योकि यदि यह न देखा, तो फिर देखा ही क्या ? सनत्कुमार चक्रवर्ती थे । राज्य से भी, और अपनी देह की असामान्य सुषमा से भी । उनका रूप भी चक्रवर्ती था । राज्य के प्रसंग मे जैसे उनके सामने कोई अन्य राजा नही था, उसी प्रकार सौदर्य के प्रसंग मे भी वे अद्वितीय थे । साक्षात् कामदेव भी, जो कि सौदर्य के देवता है, उनके सामने पानी भरे, ऐसा था चक्रवर्ती सनत्कुमार का रूप । देवो के राजा इन्द्र यह जानते थे । किसी प्रसंग मे उन्होने अपनी सभा मे कहा "धन्य है यह भारत भूमि | आज तक जैसा रूप पृथ्वी पर कभी देखा नहीं गया, वैसा रूप है वहाँ के चक्रवर्ती सनत्कुमार का । देवताओ । जहाँ तक सादर्य का प्रश्न है, सनत्कुमार देवो का भी देव है ।" अन्य देवता तो कुछ न बोले, किन्तु विजय और वैजयन्त देवो से एक मनुष्य के सोदर्य की यह प्रशसा सही न गई। उन्हें ईर्ष्या हुई । वोले"देवराज | हमे सराय है । परीक्षा करने की अनुमति चाहते हैं ।" ८७
SR No.010420
Book TitleMahavira Yuga ki Pratinidhi Kathaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1975
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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