________________
एक रहस्य
भगवान महावीर के ज्येष्ठ शिष्य इन्द्रभूति अनगार ज्ञानी थे, विवेकी थे और सत्य के अन्तिम छोर तक पहुँचने की उनकी जिज्ञासा वडी तीव्र थी। किसी भी विपय मे कोई शका उत्पन्न हो, तो उसका समाधान प्राप्त किये विना वे रुकते नही थे।
एक वार शुक्ल ध्यान मे लीन वे विचरण कर रहे थे। जीवात्मा पर विचार करते-करते एक शका उनके मन मे उत्पन्न हुई और वे उसका समाधान पाने के लिए उत्कठित हुए। भगवान महावीर के अतिरिक्त अन्य कौन था जो उनका समाधान प्रस्तुत कर सकता?
सयोगवश उस समय भगवान समीप ही राजगृह नामक नगर मे गुणशील नाम के विख्यात चैत्य मे ठहरे थे। इन्द्रभूति भगवान की सेवा मे उपस्थित हुए। सविनय वन्दन करने के उपरान्त उन्होने प्रभु से प्रश्न किया
___ "भगवन् । जीव किस प्रकार शीघ्र ही गुरुता अथवा लघुता को प्राप्त करता है ?"
भगवान ने विचार किया कि उदाहरण सहित यह तत्त्व शिष्य को समझाना चाहिए। अत उन्होने कहा
कल्पना करो, एक तूबा है, जो सूखा है, छिद्र रहित है, बहुत बडा है। क्या वह पानी मे डुवेगा?
नही भगवन् । गौतम ने निवेदन दिया। तूंवे का स्वभाव तो पानी पर तैरने का है।
२६७