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महावीर युग की प्रतिनिधि कथाएं सुन्दर है। बड़ा अच्छा लग रहा है । वह भीतर जाने के लिए आगे बढ़ा तो वाचाल ने उसे डॉटकर रोकते हुए कहा
"अरे । अरे ' कहाँ घुमा वला आता है ?" “यहाँ कोई राजा रहता है न ?"
"हाँ. हना है तो तुझे क्या ? बडा आया राजा के पास जाने वाला। भाग यहाँ में मूखं. गवार ।"
द्वारगल न जाने उन भोले भील को कितना डॉटता-फटकारता गीर गालियाँ देना. किन्तु संयोगवश अपने महल के गवाक्ष मे वैठे राजा की कटि उस भील पर पड गई। देखते ही वह स्वयं उठकर शीघ्रता से द्वार
नया और उसे प्रेमपूर्वक हाथ पकडकर भीतर ले गया ।