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________________ २४० महावीर युग की प्रतिनिधि कथाएँ वृद्ध के घर मे रखते देखकर मारे सैनिको ने एक-एक ईंट उठाई और घर मे पहुंचा दी। देखते-देखते ही सारी ईटे यथास्थान पहुंच गई। छोटी-सी बात है और छोटी-सी घटना है । किन्तु यह संकेत करती है कि लोकनायक युगपुरुप मानवता का मार्गदर्शन किस प्रकार करते है । अपने आचरण से वे मानवता का इतिहास गढ़ते है, और अपने व्यवहार से वे मानवता को उम राजमार्ग पर ले आते है जो कल्याण की दिशा मे जाता है । कृष्ण चाहते तो आदेश भी दे सकते थे और उपदेश भी । उनके आदेश तत्क्षण पालन भी होता । किन्तु अपने आचरण से उन्होंने जो कर दिवाया वह प्रजा के हृदय में वज्रलेख बनकर अकित हो गया । - अन्तकृत अगस
SR No.010420
Book TitleMahavira Yuga ki Pratinidhi Kathaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1975
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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