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________________ मम्मण सेठ का बैल - गनी की निद्रा भग हो गई। बिजलियाँ चमक रही थी। बादल गक्षसो की तरह गरज रहे थे। मुसलाधार वृष्टि हो रही थी। वर्षाकाल था। गनी महत की खिड़की के पास आ बैठी। बाहर का दृश्य देखने नगी । बीच-बीच में बिजली के चमकने से जो प्रकाश फैलता था उममे उसने देवा-ए व्यक्ति नदी में से कुछ निकाल कर लाता है, किनारे पर रन देता है और फिर नदी मे उतरता है। व्यान में बार-बार देखने पर रानी को पता चला कि वह व्यक्ति नदी के प्रवाह मे बह-बहकर आती हुई लकडिया एकत्र कर रहा है। उसने नोचा-कोई बहुत गरीब आदमी हे बेचारा ।। प्रात काल होने पर रानी ने राजा से कहा--- आपके गज्य में ऐमे-ऐमे गरीब व्यक्ति भी है ? ऐमा फैमा राज्य हे आपना" गत्रा या श्रेणिक और रानी थी चेलना । अगित को बडा आश्चर्य हुआ। वह प्रजायन्मल था। प्रना दुख को दूर करने के लिए मदेव तत्पर रहता था। उसने उमी समय अपने मनुकर भजार म व्यक्ति का पता लगवाया और परिणामम्बना गना हे सामने स्थित न्यि गो-मम्मण मेठ । ना दाग 'छे जाने पर मन बताया
SR No.010420
Book TitleMahavira Yuga ki Pratinidhi Kathaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1975
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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