________________
धर्म की शरण में
-
तेतलिपुर के राजा कनकरथ के राज्य मे एक स्वर्णकार रहता था। उसका नाम था कलाद और उसकी पत्नी थी भद्रा। उनकी एक पुत्री थी पोट्टिला । वह अनिंद्य सुन्दरी थी।
___राजा के अमात्य का नाम तेतलिपुत्र था। वह बडा योग्य और चतुर था।
एक दिन पोट्टिला स्नान-ध्यान के पश्चात् अपनी दामियो-सहेलियो के साथ अपने भवन की छत पर स्वर्ण-कन्दुक से क्रीडा कर रही थी। उसका अद्भुत रूप निखर रहा था । क्रीडारत युवती ओर आकर्षक लग रही थी।
___ उसी समय अपने घोडे पर सवार होकर अमात्य तेतलिपुत्र उस मार्ग से गुजरा। उसकी दृष्टि जव पोट्टिला पर पड़ी तव सोदर्य का शून उसके हृदय मे गड गया। वह उस सुन्दरी पर उसी क्षण मोहित हो गया। अपने सेवको ने उसने पूछा--
"ऐसा रूप ओर यौवन मैंने अपने जीवन मे ओर कही नहीं देखा। यह सुन्दरी कौन है ?”
सेवको ने बताया कि वह स्वर्णकार कलाद की पुत्री है । इतना ही नही, उन्होंने माथ ही यह भी कहा--"स्वामी । ऐसा प्रतीत होता हे कि कुशल स्वर्णकार ने किसी सोने की सुन्दर पुतती का स्वय अपनी बेटी के रूप मे निर्माण किया है।"
१४६