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न उचरिये। नचन होय सोतन सौ करये ॥ करि ये सरल तिहूं जो गसाचे देख निर्मल मार सी मुख करें जैसा लखें तैसा कपटजीन प्रगार सीन हि होइलछमीमधिकचलकर कर्मबंध विशेता भय त्यागद्धविला व पीवै मापदान हि देख तो । ह्रीं पर वस्नो उनम मार्जवध मँगायमधीश सोरा कर्तन वचनमति वोल पर निंद्रा भ्मरसूदनज | साज जवाहर लसतवादी जग मैसुखी हरमन होउ नमसत्यधम्मी गापामध्ये उत्तमसत्यवरे तपालन ॥ परिविश्वासघात नहिकीजै (सा चेश्देमानुख देखो आपन पुत्र सुपाश नपे खेो ॥स।। पेखोनि हा इति पुरुष साचेको इन्यस वदिजिये ॥ मुनराज श्रावक की प्रतिष्ठासाच गुगल खलि जिवै ॥ उचे सिंघाशनवैटवण्डन पधर्मकाम्पतिभयाः॥ वचजूटशेतीन र्क पो हौ चा सुर्गमै नारदगया। ड्रीमरनोनय सत्य धर्मागा समर्पी सोरठा ॥ धरिहिरदै सं तोश | करहत] प स्पा देह सौ | सौच सदा निर्देशाध मवडो संसारमै ॥ उही रहाह्मणे उत्तम सोचध मोगापः वर्ष ॥ उतम सौ च सर्वज जज जानौ । लो भपाप को वापबखानो । प्राशा पाशिम हा दुखरा