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चौपाई॥ । उनमा क्षमा गहरो भाई ॥ यहम बज
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स परभवसुख राई ।। गाली नसुन मन खे माना गुनको मोगरा कहे मया ना॥२॥ करुहैःप्रया नाव छीजै । मारिबाधिबहुविधिकरै। घर नै नि कारैतन विदारे। वैरजोनतहा धरै । नैकर्म्मप
कि एखोटे सौ नहि जियरा प्रति कोष अगनिबुकायमाणी सोमजल लेसिय ह्रीं परब्रह्मणो उतमक्षिमा धम्मगायनगी दोहा मानि, विश्वरूपा करे निचगति जगनमै कोमल सदा अनूप सुखपावेजारणी सदा ७५॥ चौपाई।। उही पर बस मे उनमा देव धर्मायार्षे ।। उत्तममार्दवगुनमनमाना । मानिक रिन को को निठिकाण व श्यो निगोदमाहितैौ । आया मा रीमेरीकनभाग विकाया । रुकन विका या कर्म्मवशतै देवरकेंड्री हुवा।। उतमम्र चाचं उडा लहुँबाप कि डी मे री या जीतव्य जोवन धन गुमानन कहांकरेजल व रेंवदा। करिविनय बहुगुन वडैजन कीग्पान को पावैसुदा भा ही परबले उनमाईव धर्मा गायत्री सो रहा। कपट न कीजै कोया चोरता को पुरना वसै। सरल सुनावी हो या ता के घर वह संपदा उहीं पर बस्न उत्तम मार्जरित वखानी ₹ || चकद्दगाँवैौ हत्त दुखानी। मन में होय सोवन २४
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