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धर्म्म रश शारदे। चद्गनिदुरचने का दिमो हुँ दशाक्षणी पगार
सदाता र है ॥२॥ विचारस्थापन || सौरा। हिमाचल को धार मनिचित समशीतल सुरभा भवन्त्रताप विचार दशलक्षण पर जो सदा॥२॥ उदेश लक्षण ॥ सनी पदः उत्तम क्षमा माईचा जैव सत्य (सेोच्या संयमा नपा त्यागा मा किं चना ब्रह्मचर्य धर्मा गाय जलं ॥ चंदन केशर डारिहोय सुवास दशो दशा भवनं अमल भक्ति शार। तं दुलचंद समान भाभवणा४॥श्वत फूल अनेक कार महके उरध लोकलो भवन५०ने वज्ञविव धनिहार ॥ उत्तमखद रससंग जुना भवाई देवातिकरसभारि दीपक जो तिस हामीमा दीप ।। अगर धूप विस्ता राफेले सर्व सुगंधता भवन फल कीज तभ्नपार|घ्रारणीनयनमन मोहने भवन ।। फलं ।। रौद्रव्य सभार मानत अधि कउछा हसौं भव॥१०॥भसा मयजय याला ॥ दोहा ॥ पीउ दुष्ट अनेक स्वाधिमारिव हुविधिकरे। धरिपेक्षमा विवेक कोपन की जेपीतमै । र्र ही उनमाक्ष माधर्माणा यमर्ष
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