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________________ - - - मक्षतमनूपनिहार लिइनासै सुखभर सम्यान पुण्यसुवासउदार खेरहरैमन शुद्धिक सम्पयनवविवधषका र सुधाहरैथिरताको सम्यक लेवेपदीय रतनमयशार जोतिषकाशेजगतमासम्पर Jer दो॥ एपसुवासउरार चरन-अगरकर रकी सम्यकपाकलसोभाअधिकार लों गछुहारेजायफलासम्य० ॥फलाजलगंधा सतशारादीपपफलफूलचरासम्य० ॥ স্ক্যাঙ্গাত্মা(১৪ ( গানি जैवियतवपतीनिन्यौहाररहिनरोसप बिसहै सहनमगुणसागीताईद। सम्यकदर्शनरत्नमहिने जिनवचनमैसंदेह नकीजात्यहभवविभवचाहादुरखदानोसपरभो, भोगचहैमनिजाणीधीमीगिलानकरीत्र समलखधर्मगुरुषभुपरखियैापरदोशठकी| येधर्मरिगतकोसुथिरकरहरख यौचत्रसंघ 2 कोवात्सल्यविजोधर्मकीपरभावना गुना उभौगम प्रायनहियैरसाफेरम पावना। रित्ननथापनासंदरना। ॥ ५ ॥ ত্বজ্ঞাজিনাস্তি उत्तमसमासुमाईवभावभावहै सत्यसो संयमतपत्यागउपावहै प्राकिंचनरसव २३ - -
SR No.010419
Book TitleMahavira Vardhaman
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1115
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size56 MB
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