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आपण आवास कांनी भागियो । बठे सरीर री जळण सांत कवार खातर वो कदैई गीली माटी रो लेप करतो पर कदैई पीडा भुलावरण खातर पागळ दाई नाचतो-गावतो । इण भांत घणी वेदना अर आकुळता सूवीको समय बीत र्यो हो । ज्यू-ज्यूमौत री घड़ी नैड़ी आवा लागी, त्यू-त्यू गोसाळक । रो मन पळटा खाबा लागो । वो महावीर रै सागै कियोड़े बुरे बरताव अर दो मुनियां री हत्या सू दुखी होबा लागो । वीं अबै सच्चाई नै मंजूर कर लो। वो पापणं शिष्यां रै सामै कैयर्यो हो-महावीर जिन है, सर्वज्ञ है, म्हूं पाखंडी हूं, पापी हूँ। म्हैं यांनै अर सगळे संसार नै धोखो दियो। म्हारी प्रातमा नै धिक्कार है।
जिन्दगी भर खोटा करम करण पाळो गोसाळक पाखरी समै में पश्चाताप री आग में बळ'र सोना री दाई खरो हुयग्यो। वीं से गुस्सो सांत हुयग्यो। वी पापणे मरण नै सुधार लियो । रेवती रो निरदोस दान :
_____ कोष्ठक चैत्य सू विहार करर महावीर मेढ़िया गांव कांनी पधारिया पर साल कोष्ठक चैत्य में बिराजिया। गोसाळक री तेजोलेस्या र प्रभाव सू महावीर र सरीर में तकलीफ रैवरण लागी। वां नै रक्तातिसार जिसी बीमारी हुयगी। जिसू वांको सरीर घणो कमजोर हुयग्यो । महावीर रा सरीर नै देख'र लोग कैवता के गोसाळक रै कह्यां मुताबिक कठै महावीर बेगोई आउखो पूरो नी कर जावै । आ बात सालकोष्ठक रै नई मालुयाकच्छ में तप साधना करता हुया सीहा अरणगार पण सुणी । महावीर री अस्वस्थता अर काळ परम पावण री बात सुण सोहा अणगार रो.ध्यान टूटग्यो अर वी चिन्ता में पड़ग्या ।
प्रभु महावीर नै आपण ज्ञानयोग सूमालम पड़ी के सीहा मुनि म्हारी पीड़ा सूघणा दुखी है। वां आपण श्रमणां तूं कह्यो