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मुनि रा वचन भाग में घी से काम करग्या । गोसाळक मुनि पर तेजोलेस्या छोड़ दीवी, जिमू मुनि रो शरीर बठेइ वळग्यो ।
गोसाळक फेरू मन में यावे जूई बोलर्यो । वीरां सवद सुण सुनक्षत्र नाम रा मुनि भी चुप नी रेय सक्या । वी उरणने समझावा लागा। गोसाळक वां पर भी तेजोलेस्या छोड़ी पण अवै उण रो असर मन्दो पड़ग्यो हो जिनमुनि रोप्राणान्त तो नी हुयो पण वी बुरी तरै घायल हुयग्या । वान असीम पीड़ा ही। काळ नै नैडो जारण वां समाधि मरण अंगीकार करियो ।
महावीर री धरम सभा में दो निरपराध मुनि इण भांत शहीद हयग्या । चारु कांनी सन्नाटो छायग्यो पण गोसाळक रो किरोष हाल ताई मात कोनी हुयो। वी भगवान महावीर पर भी तेजोलब्धि छोडी। बीने पूरो विसवास हो कै म्हारो तेजो सक्ति सू महावीर रो शरीर पग नष्ट हुई जावला । पण प्रभु रा अपार तेज र आगे गोसाळक री तेजोलेस्या कोई असर नी कर सकी । गोसाळक री छोड्योड़ी तेजोलेस्या री किरणा महावीर रै शरीर री प्रदक्षिणा कर'ने पाछी फिरगी अर गोसाळक ने बाळती थकी वीरै सरीर में ईज प्रविष्ट हुयगी । इण सूगोसाळक र सरीर में जलण हुआ लागी । वो इण पीड़ा सूघणो दुखी हुयो ।
गोसाळक री आ हालत देख महावीर नै दया आयगी । वी वोल्या-गोसाळक ! थारी तेजोलेस्या रै प्रभाव सूथू खुद ही बळ
र्यो है । अवै थारो काळ नैड़ो है । प्रापरणो जीवण सुधारण खातर थू आपण कियोड़े खोटा करमां पर प्रायश्चित कर। . महावीर गोसाळक रै कल्याण री कामना करऱ्या हा, पण वो अवार भी रोस मे भरयोड़ो हो । उग री व्यथा धीरे-धीरे बधती जाय री ही । हाय ! हाय करतो वो कोष्ठक चैत्य सूनिकळ' र