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जनम अर टाबरपरण
‘भगवान महावीर रो जनम वैसाली गणतंत्र रै क्षत्रिय कुष्गांव में हुयो । आपरै पितारो नाम राजा सिद्धार्थ अर माता रो नाम महाराणी त्रिसलादेवी हो ! अाप इक्ष्वाकुवंसीय काश्यप गोत्रीय क्षत्रिय हा । आपरा माइत अर मामा (चेटक) भगवान पार्श्वनाम घरमसासन री परम्परा नै मानवानाळा हा ।
सुभ सुपना
जब भगवान महावीर माता त्रिसला रै गरभवास में आया तो त्रिसला चवदह दिव्य अर उत्तम सुपना देखिया । सपना देख राणी नै घणो खुसी हुई। वीं रो रु-रु हरख भर उमाव सू भरण्यो । उगीज वगत वा उर राजा सिद्धार्थ कनै गई। वान खुसी-खुसी प्रापण सुपना री बात सुरगाई। राजा सिद्धार्थ राणी रा सुपना सुण राजी हुया! दिन उगताई राजजोतसी नै बुलार सिद्धार्थ राणी रं देत्योडा सुपनां रो फळ पूछियो । राजजोतसी न्तायो के इणां सुन सपनां तूं मालम व्है के राणी त्रिसलादेवी भागसाळी पुत्र री माता वर्गणमाळी है। इणारं जो पुत्र हुनेला
१. उबदह सुपना रा नाम इण भांत है
(१) हारी (२) बळद (३) ना'र (सिंह) (४) लिछसी (५) फूलारी मका (६) चन्दरमा (७) सूरज (८} ध्वना (8) कळस (१०) पदमसरोवर (११) क्षोर सागर (१२) विमान (१३) रतना रो हेर (१४) निरघूम भाग। दिगम्बर परम्परा सोलें सुपना मान ।
७) यूरज (MR) (४) लिमी ।
बरोबर (१११