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(३) स्याद्मस्ति-नास्ति-किणी अपेक्षा है, किणी अपेक्षा सूनी है।
(४) स्याद्.अवक्तव्य-है भी, नी भी, पण एक सागै कयो नीं जा सके।
(५) स्याद् अस्ति-प्रवक्तव्य-कथचित है, पण एक सागै कयौ नीं जा सके।
१६) स्याद् नास्ति अवक्तव्य-कथचित् नी है पण कयौ नी जा सके।
(७) स्याद अस्ति-नास्ति अवक्तव्य-किणी अपेक्षा सू है, किणी अपेक्षा सूनी है, पण दोन्यू बातां एक सागै प्रगट नी की जा सके।
इण सात विकल्पां मांय सूपला चार विकल्प अधिक व्यावहारिक है । आखरी तीन विकल्पां मांय पैलड़ा चार विकल्पां रो ईज विस्तार कियो गयो है । अं नीचे दियोड़ा उदाहरण सूसमझ्या जा सके
तीन आदमी एक ठौड़ ऊभा है । किणी आवणिय मिनख एक सूपूछियो-काई थां इण रा पिता हो ?
वीं उत्तर दियो-हां (स्याअस्ति) आपण इण बेटे री अपेक्षा सू म्हू पिता हूँ। पण इण पिताजी री अपेक्षा सूम्ह पिता नीं हूं (स्याद्नास्ति) मुहूं पिता हूं भी अर नीं भी (स्याद् अस्तिनास्ति), पण एक सागै दोन्यूबातां कही नी जा सकै (स्याद् प्रवक्तव्य), इण वास्तै कांई कवू?