________________
१२४
पांच अणुव्रत :
मोटे रूप सू पाप पांच भांत रा हुने हिंसा, झूठ, चोरी, कुसील पर परिग्रह । इरण पापां रो अंशतः त्याग अणुव्रत कहीजै । भी उणीज क्रम सू पांच भांत रा हुने - ( १ ) अहिंसा ( २ ) सत्य (३) अचौर्य ( ४ ) ब्रह्मचर्य र (५) परिग्रह - परिमाण ।
१. अहिंसा :
इण व्रत रो धारक हिंसा रो देशतः त्याग करें। वो संसार रे सगळा प्राणियां ने आपणी आत्मा रे समान समझे। वो सोच के जियां दुख म्हने नी पसन्द है उणीज भांत दूजा प्राणियां ने भी दुख पशन्द कोनी | श्रा सोच वो दूजा प्राणियां रो अहित नी करें। उणां कष्ट नीं देवै । अहिसा में उणरी पूरी सरधा हुने । हिंसा ने वो त्याज्य समझे । परण गिरस्ती में सम्पूर्ण हिसा सू बचणो संभव कोनी | इ कारण अहिसारणुव्रत रो संकल्प ले'र वो निरपराध प्राणियां ने तकलीफ नी देने, उण रो वध नीं करें, पसुवां आदि पर बत्तो भार नीं लादै, चाबूक, बैत श्रादि उणां पर वार नीं करें। वांने भूखा-तिसा न राखे । किणी सागै क्रूरता पूर्ण अमानवीय बैवार नीं करें। इरण व्रत रे पाळण सूळ हिसा क्रूरता कम हुय' र अपणायत अर लोककल्याण री भावना में बढ़ोतरी हु- ।
•
२. सत्य
इण व्रत में असत्य रो देशतः त्याग करियो जागे । इण व्रत ₹ धारक में सत्य रं प्रति पूर्ण निष्ठा हुने । वो झूठी साख नीं देवने । जाळी दस्तखत नीं करें। किणी री राखीयोड़ी धरोहर ने पाछी देवरण सू ना नीं करें। झूठा लेख, भाषण र विज्ञापन आदि नां देने । इरण व्रत रे पाळण सू अविश्वास मिटर विसवास, सत्यता, ईमानदारी, प्रामाणिकता जिसा गुणां री बढोतरी हुने ।