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दिया है वकन के नियधा और सम्कृत के सुभाषित श्लोका का एकवाक्यता दिखलान लिए प्रत्येक निबन्ध के शीर्ष पर एक या दो श्लोक भी उद्धत किए गए है । इन श्लोको निबन्धो की भाति विचारात्मक मामग्री नहीं है, ये विचारों के निष्कर्ष मात्र हैं | ४ शिक्षा---१६०६ ई०, प्रसिद्ध तत्ववेत्ता हर्बर्ट स्पेसर की 'एज्यूकंशन' नामक पुस्तक क
अनुबाद । उस समय ममूचे देश में शिक्षा की दुर्दशा यी । मगठी, बंगला श्रानि में तो इस विषय पर ग्रन्थरचना हो रही थी किन्तु हिन्दी इससे वंचित थी । मौलिक रचनात्र की प्रतीक्षा न करके द्विवेदी जी ने अनुवाद के द्वारा ही इत अभाव की पृतिका प्रथाम किया। इस ग्रन्थ में बुद्धि, शरीर और चरित्र की ममंजम शिक्षा की विस्तृत विवेचना की गई है । ठीक ठीक अर्थग्रहण कराने के लिए, अनुवादक द्विवेदी ने व्याख्या के बीच मे ही व्यक्तिवाचक नामो का कुछ परिचय भी दे दिया है । उन्होंने जिन नामो को परिवर्तनीय ममझा हैं उनके स्थान पर हिन्दी-भापियों के परिचित भारतीय नामों का प्रयोग किया है। अपने विचारों को पुष्टि और प्रामाविक अभिन्यक्ति करने के लिए आवश्यकतानुसार अपने यहा के प्राचीन तथा अर्वाचीन उदाहरणों की योजना की है । मूल लेख के गृढ भाचा को उन्होने 'अर्थात' श्रादि के प्रयोगो द्वारा सविस्तार ममझाने की चेष्टा की है। पारिभापिक कठिन शब्दों को या तो निकाल दिया है या अावश्यकतानुसार उम अबनछेद के अाशय को मनमानी शब्दो द्वारा व्यक्त किया है। ५ स्वाधीनता-~-१६०७ ई० जॉन स्टुअर्ट मिल के 'ग्रॉन लिबटी' निबन्ध का अनुवाद ___ इस ग्रन्थ में प्रस्तावना और मूल लेन्वक्र की जोवनी के पश्चात् विचार और विवेचना की स्वाधीनता. व्यक्तिविशेषता, व्यक्ति पर समाज के अधिकार की मीमा और इनके प्रयोग की समीक्षा है । मिल के दीर्घ जटिल और क्लिष्ट वाक्यों के स्थान पर द्विवेदी जी के वाक्य छोटे, सरल और सुबोध हैं । इस भावानुवाद की भाषा उर्दू मिश्रित - हिन्दी और शैली वक्तृतात्मक तथा 'अर्थात' श्रादि प्रयोगों में व्याप्त है। ६ जल चिकित्मा-~-१६०७ ई०, जर्मन लेखक लुई कोने . की जर्मन पुस्तक के अंगरेजो
अनुवाद का अनुवाद । ७ हिन्दो-महाभारत----१६०८ ई., संस्कृत-'महाभारत' की कथा का हिन्दी रूपान्तर । ८. रघुवंश-१९१२ ई०, कालिदास के रघुवंश' महाकाव्य का हिन्दी गद्य में भावार्थबोधक
अनुवाद , वेणी-संहार----१६१३ ई०, संस्कृत-कवि भट्टनारायण के 'वेणीसंहार' नाटक का श्राख्या
यिका के रूप में अनुवाद । ० कुमार-सम्भव J१९५० कालिंदाम के मार-मम्म' का अनवाद