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तीसर या हिन्दी साहित्य सम्मत्ता व काय विवरण में सिद्ध है मि०१६६६ म व्यावर गोरखपुर शहर और श्रमर का नागरिणा सभाएँ कलकत्ता का 'हिन्दी साहित्य परिषद' तथा आगरा की नागरी प्रचारिणी सभा और सं० १६७० में लहेरियासराय की 'छात्रोपकारिणी समा', हायरस, तस्वीमपुर-खीरी तथा लाहौर की नागरी प्रचारिणी सभाएँ, धेनुगामा की 'हिन्दी हिनैपिणी ममा, भागलपुर की 'हिन्दी मना', मुरादाबाद की 'हिन्दी प्रचारिणी सभा', लखनऊ की 'हिन्दी साहित्य सभा', चित्तोड की 'विद्या प्रचारिणी सभा' और कोटा की 'हिन्दी साहित्य समिति' आदि संस्थाएँ हिन्दी साहित्य सम्मेलन से सम्बद्ध हुई । '
सं० १६६६--७० से बंगाल, बिहार, मध्यप्रान्त, गुजरात, गजपनाना, पंजाब आदि प्रान्ती और अनेक देशी राज्यों में धूमधाम से हिन्दी का प्रचार प्रारम्भ हुआ। मं० १६७२ म गुजराती और मराठी साहित्य-सम्मेलनों ने हिन्दी को राष्टभाषा स्वीकार करके अपने शिक्षालयों में उसे सहायक भाषा की भाँति पाने का मन्तव्य स्थिर किया । सं० १९७५ में महात्मा गाँधी की अध्यक्षता मे देवीदास गाँधी, पंडित रामदेव और सत्यदेव ने मद्रास में हिन्दीप्रचार किया । ल० १९७५ में सम्मेलन ने हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना की । एकादश सम्मेलन में चालीस सहस्र का दान मिला और उसके सूद में 'मंगलाप्रसाद पारितोषिक' की श्रायोजना की गई । सं० १६८२ मे सम्मेलन ने बृहत् कवि सम्मेलन और सम्पादक-सम्मेलन की भी आयोजना की । उसी आन् मे सम्मेलन का विशिष्ट अविवेशन हुआ और दक्षिण में हिन्दी की प्रतिष्ठा हुई। अ
इंडियन प्रेम, प्रयाग, वेंकटेश्वर प्रेम बम्बई, विलाम प्रेस, पटना, भारत जीवन प्रेस, काशी, हरिदान कम्पनी, कलकत्ता, हिन्दी ग्रन्थ प्रसारक मंडली, वडवा, हिन्दी-ग्रन्थ
(झ) हिन्दी साहित्य के विद्वानों को तैयार करने के लिए हिन्दी की उच्च परीक्षाएं लेने का प्रबन्ध करना ।
(ट) हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उद्देशों को सिद्धि और सफलता के लिए जो अन्य उपाय आवश्यक और उपयुक्त समझे जाए, उन्हें काम में लना !
द्वितीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन का कार्य विवरण |
१. हिन्दी के साहित्य सम्मेलन के कार्य विवरण के आधार पर।
२. प्रथम बार स० १९७३ में साहित्य विषय पर पद्मसिंह शर्मा को उनकी विहारी सतसई पर, दूसरी बार मं० १६८० में ममाजशास्त्र पर गोरीशंकर हीराचन्द श्रा को उनकी भारतीय प्राचीन लिपिमाला पर और तीसरे बार मं० १९८१ में प्रो. सुधाकर लिखित मनोविज्ञान नामक दार्शनिक रचना पर दिया गया । २ ही साहित्य के कार्य विवरण के आधार पर