________________
द्विवटी जी ने इस सिद्धान्त का उचित पालन नहीं क्यिा इसकी समीना ऊपर हा चुकी है। सम्पादक-पद म 'सरस्वती' को लोकप्रिय बनाने क लिये व अन्य लेखका की मस्कृतपदावली के स्थान पर उर्दू शब्दो का सन्निवेश कर दिया करते थे. उदाहरणार्थ
सन् ०६
मूल सशोधित लेखक रचना पृष्ठ यास्तु शिल्प मकान वगैरह बनाने काशीप्रसाद एफ० एस० साउन १
की विद्या अभ्यन्तर दरमियान
मुतमौत्रल मिश्रबन्धु जीवन बीमा
जाहिर
काशीप्रसाद एफ.० एस० ग्राउस 8
,
पश्चात् याद कदाचित् शायद अन्ततःस्वास्थ्य-श्राम्बीर में तबियत हीनता अच्छी न रहने भूमि ज़मीन क्याम उमर कुछ ही क्षण जग देर
सूर्यनारायण दीक्षित टिड्डीदल . काशीप्रसाद एफ एस ग्राउस १५ सूर्यनारायण टिड्डादल दीक्षित
प्रत्येक व्यक्ति हर आदमो न्याय प्रचलित कानुन जाग या
,
,
उनके सुधार में अनेक लेखक और पाठक असन्तुष्ट थे । इन कथन की पुष्टि कामता प्रमाट गुरू के निम्नाकित पत्र मे हो जाती है.
"अरबी फारमी के क्रम उपयोग के अनुरोध का सबसे बड़ा कारण यह है कि श्राप अादर्श लेखक हैं, इसलिये श्राप मापा का ऐसा रूप न देखें जो या तो पाठको को न बचें या इमारी हिन्दी को बीबी बना दे श्राप थोष्टा लिखा बहुत समझिए