________________
।
५
।
दाल मिद्वान्त का स्वीकार नहा किया : उसका दृष्टि प्रधानतया उपय गिता पर ही रही हैं ! इस दृष्टि में भी द्विवेदी जी और उनकी 'सरस्वती' की देन अप्रतिम है। उद्देश, रीति, शैली यादि ममी दृष्टियों में द्विवेदी जी तथा उनकी सम्पादित 'सरस्वती' ने ठोम, उपयोगी अार कलात्मक निववा की रचना के साथ हो अपने तथा परबती युग के निवन्धा की आदर्श भूमिका प्रन्तुत की। हिन्दी-माहित्य का निबन्धकार द्विवेदी की नही देन है।