________________
वैधानिक निरधा म अाविष्कार आर अनस धान पर द्विवदी नी ने अन रोचक निवन्ध लिखे । उनकी सम्पादित 'सरस्वती' में मंगल ग्रह तक तार', रंगीन छायाचित्र', "कुछ अाधुनिक अाविष्कार'-3 सरीखे निबन्धी की बहुलता है। विषय की दृष्टि से द्विवेदी जी के निबन्धी का चौथा वर्ग ऐतिहासिक निबन्धो का है। ये निबन्ध तीन प्रकार के है । 'भारतीय शिन्य शास्त्र'.४ "विक्रमादित्य और उनके मबत् के विषय में एक नई कल्पना'," 'प्राचीन भारत में रसायन-विद्या'६ आदि निवन्ध सामान्य ऐतिहासिक हे । यह ऐतिहासिक निवन्धो का पहला प्रकार है । दूसरे प्रकार के ऐतिहासिक निबन्ध वे है जिनमें भारतीय वैभव, सभ्यता आदि का चित्रण किया गया है, यथा 'भारतवर्ष की मभ्यता की प्राचीनता',७ 'अायों की जन्मभूमि', 'प्राचीन भारत में जहाज' श्रादि । तीसरे प्रकार के ऐतिहासिक निबन्ध पुरातत्वविपयक है, उदाहरणार्थ 'सोमनाथ के मन्दिर की प्राचीनता',१० 'भारतवर्ष के पुराने खडहर',११ 'शहरे बहलोल में प्राप्त प्राचीन मूर्तिया १२ श्रादि ।
विषय के आधार पर उनके पाचवे वर्ग के निबन्ध भौगालिक है । ये दा प्रकार के है-एक तो भ्रमण--सम्बन्धी और दूसरे स्थल-नगर-जात्यादि-वर्णनमय । भ्रमण-सम्बन्धी निवन्धो में प्रायः दूमरो की कथा वर्णित है । 'व्योम-विहरग' १३ उत्तरी ध्रुव की यात्रा' ६४ 'दक्षिणी ध्रुव की यात्रा १५ श्रादि इस विषय के उदाहरणीय निबन्ध है । पेरिस'१६ जापान की स्त्रिया १७ १. , १००६ पृ० २८५ ।
१४६। ४. 'विचार-विमर्श, प.८६, जुलाई, १६१६६० ।
६. 'सरस्वती', १९१५ ई०, अगस्त । ७. 'विचार-विमर्श'. पृ० १६० ८ 'साहित्य-संदर्भ पु० ५१ । ६. 'सरस्वती',१६१६ ई०, पृ० ३१० १०. 'विचार-विमर्श',पृ० १०२ ।
१३ 'परम्वती', १९०५ ई०, ५० ३१५.३४० ।
, १९०७ ११०६
२६५। १६२०
२५. १६०५० सनमरी