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है दूसरी श्रेणी म व निबघ हैं जिनके विषय तथा लेसन की प्ररणा द्विवदा नी को स्वत प्राप्त हुई । यथा भवभूति'', 'प्रतिभा' , 'कालिदाम के मंघदूत का रहस्य', 'साहित्य की महत्ता आदि । प्रायः इस प्रकार के निबन्धों की रचना प्रमुख व्यक्तियों के जीवन चरित, स्थानादिवर्णन, सभ्यता एवं साहित्य, बालोचना भादिको लेकर हुई । इस श्रेणी के निबन्धो में निबन्धकार द्विवेदी अपने शुद्धतम और उच्चतम रूप में प्रकट हुए है। प्राशयप्रधान अमौलिक निबन्धों की अपेक्षा इन निबन्धो मे उनके व्यक्तित्व की भी सुन्दरतर अभिव्यक्ति हुई हैं । सामयिकता एवं पत्रकारिता की दृष्टि में निवन्ध की इन दोनों ही श्रेणियों का महत्व समान है।
द्विवेदी जी के निबन्धो के व्यापक अध्ययन के लिए उनके प्रकार निर्धारण की अपेक्षा है। शरीर की दृष्टि से द्विवेदी जी के निवन्ध चार रूप में प्रस्तुत हुए। पहला रूप पत्रिकाया के लिए लिखित लेखो का है जिनके अनेक उदाहरण ऊपर दिए जा चुके हैं । दृसर रूप में भूमिकाएँ हैं जो ग्रन्थी, ग्रन्थकारी या ग्रन्थ के विषय के परिचयरूप मे लिखी गई हैं। 'रघुवंश', 'किरातार्जुनीय', 'स्वाधीनता' आदि की भूमिकाएँ निबन्ध की इसी कोटि में है । नीमरा रूप पुस्तकाकार प्रकाशित निबन्धी का हे उदाहरणार्थ 'हिन्दी भाषा की उत्पत्ति', 'नाट्यशास्त्र' आदि । चौथे रूप में वे भाषण हैं जो द्विवेदी जी ने अभिनन्दन, मेले, और तेरहवें साहित्य-सम्मेलन के अवसर पर दिए थे । विपय की व्यापकता एवं अनेकरूपता के कारण इन निबन्धो को किसी एक विशिष्ट कोटि में रज्यकर, विमी एकही विशिष्ट लक्षण से प्रॉकना असम्भव है । उनके प्रकारनिर्धारण में विषय, शैली एवं उद्देश का समान हा रहा है। विषय की दृष्टि से द्विवेदी जी के निबन्धों के अाठ वर्ग किए जा सकते हैं---साहित्य, जीवनचरित, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, उद्योगशिल्प, भाषा और अध्यात्म । साहित्यिक निबन्धी के भी अनेक प्रकार है-कविलेखक-परिचय, ग्रन्थपरिचय, समालोचना, शास्त्रीय विवेचन, सामयिक साहित्यावलोकन आदि । 'कविवर लछीराम', 'पंडित बलदेव प्रसाद मिश्र', ६ पंडित सत्यनारायण मिश्र', 'मुग्धानलाचार्य', 'बाबू अरविन्द घोप', 'कविवर १. 'सरस्वती,' जनवरी, ५१०२ ई० । २., १६०२, ई०, पृ०, २६२ । ३. 'कालिदास और उनकी कविता में संकलित । ४. हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन के तेरहवें अधिवेशन में स्वागताध्यक्षपद से दिए गए लिखित
भाषण का एक अंश जो निबन्धरूप में स्वीकृत हो चुका है। *. 'सरस्वती,' १९०५ ई०, पृ० ११४ ।
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