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________________ [ ७ ] प्रस्तुत ग्रन्थ में ६ अध्याय है -- १. भूमिका २. चरित और चरित्र ३. साहित्यिक संस्मरण और रचनाएँ ४. कविता ५. अालोचना ६. निबन्ध ७. 'सरस्वती'-सम्पादन ८. भापा और भाषासुधार ६. बुग और व्यक्तित्व पहले अध्याय मे ग्रथित वस्तु का अधिकाश पराजित है । वस्तुतः अभिव्यंजना-शैली ही अपनी है। दूसरे अध्याय मे प्रकाशित लेखों और पुस्तकों के अतिरिक्त द्विवेदी जी को हस्तलिखित संक्षिप्त जीवनी ( काशी-नागरी- प्रचारिणी सभा के कार्यालय में रक्षित) और उनसे संबंधित पत्रों तथा पत्रपत्रिकाओ के गवेषणात्मक अध्ययन के आधार पर उनके चरित और चरित्र की व्यापक, मौलिक तथा निष्पक्ष समीक्षा की चेष्टा की गई है । इन्हीं के आधार पर तीसरे अध्याय में साहित्यिक संस्मरण का विवेचन भी अपना है । 'तरुणोपदेशक', 'सोहागरात' और 'कौटिल्यकुठार' को छोडकर द्विवेदी जी की अन्य रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं । हिन्दी-संसार उनसे परिचित है। उक्त तीनों रचनाओं की खोज अपनी है। यह अधिकार के साथ कहा जा सकता है कि इनके अतिरिक्त द्विवेदी जी ने कोई अन्य पुस्तक नहीं लिखी। चौथा अध्याय कविता का है। द्विवेदी जी की कविता ऊँची कोटि की नहीं है । इसीलिए इस अध्याय में अपेक्षाकृत कम गवेषणा, ठोसपन और मौलिकता है । छन्द, विषय, शब्द और अर्थ की विविधि दृष्टियों से तथा द्विवेदी जी को ही काव्य-कसौटी पर उनकी कविता की समीक्षा इस अध्याय की मौलिकता या विशेषता है। पाचवें अध्याय मे समालोचना की विभिन्न पद्धतियों की दृष्टि से आलोचक द्विवेदी की आलोचना सर्वथा स्वतंत्र गवेषणा और चिन्तन का फल है। निबन्धकार द्विवेदी पर भी पूर्वोक्त रचनाओं तथा पत्रपत्रिकाओं में फुटकर लेख लिखे गए थे किन्तु वे प्रायः वर्णनात्मक थे । प्रस्तुत ग्रन्थ के छठे अध्याय में सौन्दर्य, इतिहास और म्यक्तित्व के आधार पर विधेदी जी के निब घों की छानबीन की गई है यह भी अपनी
SR No.010414
Book TitleMahavira Prasad Dwivedi aur Unka Yuga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaybhanu Sinh
PublisherLakhnou Vishva Vidyalaya
Publication Year
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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