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________________ • . ३ कोई मुझे मिले, जोड़े और पूरा न करे, पुरुष अपर्याप्त है अपने में, आधा है, स्त्री जोड़े यह विवाहित होने की कामना है । यह विवाहित होने का चित्त है। स्त्री अधूरी है अपने में । 'पुरुष के बिना खाली है । पुरुष आए और उसे भरे और पूरा करे । यह विवाहित होने की कामना है । तो दिगम्बरों को मैं कहता हूँ उन्होंने ठीक ही कहा कि महावीर अविवाहित थे। क्योंकि उस व्यक्ति में किसी से पूरे होने की काई कामना न बची थी। वह पूरा था। कहीं कोई अधूरापन न था जो किसी और से उसे पूरा करना है। इसलिए यह मैं मानता हूँ कि श्वेताम्बरों से दिगम्बरों की आंख गहरी पड़ो, बहुत गहरो पड़ी। बहुत गहरा देखा उन्होंने कि यह आदमी अविवाहित है। इस साधारण तथ्य के लिए कि स्त्री से उसका विवाह हुमा है, उसको विवाहित कहना एकदम अन्याय हो जाएगा। आप मेरा मतलब समझ रहे हैं ? एकदम अन्याय हो जाएगा इस आदमी को विवाहित कहना क्योंकि यह आदमी बिल्कुल अविवाहित है। और इसलिए सम्भव हो सका कि जिन्होंने गहरे देखा उन्हें वह अविवाहित दिखाई पड़े और जिन्होंने तथ्य देखा उनके लिए वह विवाहित होने का तथ्य ठीक था। विवाह तो हुआ था। और यह आदमी अपने में इतना पूरा था कि दूसरा इसके पास हो सकता है, दूसरा इसके निकट हो सकता है, दूसरा चाहे तो इससे अपने को भर सकता है लेकिन इस आदमी को दूसरे को अपेक्षा नहीं। इसलिए यह हो सकता है कि पत्नी ने पति पाया हो लेकिन महावीर ने पत्नी नहीं पाई। इसलिए उन दिगम्बरों की आँख गहरी गई। वे कहते हैं कि पत्नी नहीं थी इस आदमी के पास। यह हो सकता है कि पत्नी ने पति पाया हो। यह भी हो सकता है कि पत्नी ने इससे सन्तान पाई हो। लेकिन महावीर पिता नहीं थे और न पति थे । यह घटना घटी भी हो तो अत्यन्त वाह्य तल पर घटी । लेकिन भीतर यह आदमी पूरा था। इस पर जोर देने के लिए दिगम्बरों ने कहा कि इस आदमी ने कभी शादी नहीं को। मगर उनसे भी जैसे-जैसे बात आगे बढ़ी, भूल होती चली गई । वह तथ्य से इन्कार करने लगे । उनको भी ख्याल न रहा इस बात का कि तथ्य यह था कि शादी की थी। और मैं मानता हूँ कि यह बात भी अर्थपूर्ण है कि महावीर ने इन्कार नहीं किया शादी के लिए। असल में जो शादी के लिए आतुर हो वह, और जो शादी के लिए इन्कार करता है वह, दोनों स्त्रियों को अर्थ देते हैं। इन्कार करने वाला भी अर्थ देता है, इन्कार करने वाला भो भय प्रकट करता है, इन्कार करने वाला भी पलायन करता है। इन्कार करने वाला भी मानता है कि स्त्री कुछ है जो पास होगी, तो मैं कुछ और हो जाऊंगा। महावीर ने ना भी न की होगी इसलिए शादी हो गई होगी। ना कर
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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