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महावीर : मेरी दृष्टि में
ब्राह्मण की जो कोख थी, वह बांझ हो गई है। अब उसमें महावीर जैसा व्यक्ति पैदा नहीं हो सकता । वह परम्परा क्षीण हो गई थी,, सूख गई थी । ब्राह्मण उस युग में महावीर या बुद्ध की हैसियत का एक भी आदमी पैदा नहीं कर पाया । वह मार्ग सूख गया था। उसने पैदा किया आगे लेकिन वक्त लग गया डेढ़ हजार वर्ष का। फिर मामा संघर्ष । डेढ़ हजार वर्ष में महावीर और बुद्ध ने जो परम्परा छोड़ी जी बह सूख गई और जड़ हो गई फिर काम कर गया । ये जो प्रतीक इस तरह चुने हैं बड़े अर्थपूर्ण हैं । प्रतीकों को जो जड़ता से तथ्यों की भांति पकड़ लेता है वह बिल्कुल
।
तब ठीक विपरीत विद्रोह
और इन
भटक ही
अर्थ हो सकता है । महावीर के
जाता है। उसे पता ही नहीं चलता कि क्या जीवन में मैं कहता हूँ कोई घटना नहीं घटी ।
बेकिन कुछ बातें सोचने जैसी हैं। जैसे दिगम्बर कहते हैं कि महावीर अविवाहित रहे । मजेदार घटना है । और श्वेताम्बर कहते हैं कि वे न केवल विवाहित हैं बल्कि उनकी बेटी भी हुई। कितनी ही चीजें विकृत हो जाएं, लेकिन यह असम्भव है कि एक अविवाहित व्यक्ति के साथ एक पत्नी और लड़की भी जुड़ जाएँ । यह करीब-करीब असम्भव है । लेकिन यह भी असम्भव है कि एक विवाहित व्यक्ति और उसकी एक लड़की और दामाद के होते हुए एक परम्परा उसे अविवाहित घोषित करे। यह दोनों बातें असम्भव हैं । ये बातें कैसे सम्भव हो सकती हैं ? नगर विवाह हुआ हो, लड़की हुई हो, दामाद हो और ये सब बातें तथ्य हों तो कोई कैसे इन्कार करेगा इस बात को कि यह हुआ ही नहीं । यहाँ सिर्फ यह बात समझ लेनी है कि तथ्य जरूरी नहीं सदा सत्य हो । बहुत बार तथ्यों में बुनियादी, हेर-फेर हो जाती है बे सिर्फ मृत तथ्यों को संगृहीत कर लेते विवाह जरूर हुआ होगा लेकिन वे बिल्कुल जिन्होंने यह तथ्य देखा उन्होंने कहा कि विवाह जरूर हुआ । और जिन्होंने सत्य देखा उन्होंने कहा कि वह आदमी अविवाहित था । अविवाहित होना एक सत्य है और विवाहित होना एक तथ्य है ।
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और जो सत्य को नहीं देख पाते
।
मेरा मानना है कि महावीर का अविवाहित की भाँति रहे होंगे ।
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कोई व्यक्ति बिना विवाहित हुए विवाहित हो सकता है, मन से, चित्त से, बासना से | और विवाहित होने की वासना क्या है, इसे हम समझ लें विवाहित होने की वासना है कि मैं अकेला काफी नहीं, पर्याप्त नहीं। दूसरा भी चाहिए जो आए और मुझे पूरा करे । विवाहित होने का मतलब क्या है ? 'विवाहित होने का गहरा मतलब है कि मैं अपने में पर्याप्त नहीं हूँ । जब तक कि