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________________ ६८ महावीर : मेरी दृष्टि में. आज जाएगा । जैसे मैं कहता हूँ कि आज अगर महावीर की नहीं हैं कोई अपील सारे जगत् में तो उसका कारण है कि उनकी भाषा बिल्कुल ही पिटी-पिटाई हो गई। लेकिन अब भी हो सकती है अपील। भाषा इस युग के अनुकूल हो तो आज अपील हो जाए। अपील आप क्या कहते हैं इसकी नहीं है, अपील इस बात की है कि आप उसको कैसे कहते हैं; वह युग के मन के अनुकूल है या 'नहीं । नहीं तो वह खो गई अपील । एक तो वह इसलिए पिछड़ गए क्योंकि उन्होंने अतीत की भाषा का उपयोग किया । महावीर एक अर्थ में अतीत के प्रति अनुगत हैं । बुद्ध अतीत के प्रति बिल्कुल नहीं, भविष्य के प्रति अनुगत हैं । अतीत इन्कार ही कर दिया है । इसलिए अपने से पहले किसी परम्परा को उन्होंने नहीं जोड़ा । नई परम्परा को सूत्रबद्ध किया । और भी बहुत से कारण हैं जिनकी वजह से परिणाम नहीं हो सका जितना हो सकता था । 1 परम्परा पुनरुज्जीवित की जा सकती है। भाषा में कोई कठिनाई नहीं है । लेकिन अनुयाया कभी उसकी हिम्मत नहीं जुटा पाता क्योंकि उसे लगता है कि सब खो जाएगा । भाषा ही उसकी सम्पत्ति है । अगर उसको बदला तो सब खो गया । जबकि भाषा सम्पत्ति नहीं है, भाषा सिर्फ कन्टेनर है, डिब्बा है, विषयवस्तु ( कन्टेन्ट ) की बात है असल में । इसमें पता नहीं कितना फर्क पड़ता है । अभी मैंने पढ़ा कि एक अमेरिकी लेखक ने एक लाख किताबें छपवाईं लेकिन नहीं बिक सकीं । तीन वर्ष परेशान रहा । तो उसने जानकर विज्ञापन-सलाहकारों से सलाह की । उन्होंने कहा तुमने जो किताबों का नाम रखा है वह पिटा पिटाया है । किताबों का जा कहर ( मुखपृष्ठ ) है वह गलत है । वह आधुनिक मन के अनुकूल नहीं । इसलिए वह किताबों में रखा रहेगा, कभी उस पर नजर ही नहीं पड़ने वाली किसो खरीदने वाले की । किताब पीछे देखी जाती है, किताब का कहर पहले देखा जाता है । तो उसने कह्वर बदल दिये । नए रंग, नई डिजाइन । आधुनिक कला से सम्बन्धित कर दिया, नाम बदल दिये । वे किताबें दस महीनों में ही बिक गईं। और भारी प्रशंसा हुई उन किताबों की । हमेशा ऐसा होता है। महावीर के ऊपर बहुत पुराना कह्वर है । अब नया कार होना चाहिए, और यह जरूरी है। क्योंकि महावीर की धारा का इतना अद्भुत अर्थ है कि वह खो जाए तो नुकसान होगा, सारी मानव जाति का नुकसान होगा । जैनियों को तो नुकसान हुआ कह्नर बदलने से । मानव जाति का नुकसान होगा महावीर की धारा का अर्थ खो जाने से । इसलिए हमें जैनियों नुकसान की चिन्ता नहीं करनी चाहिए । के
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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