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________________ का पूर्ण ध्यान लेकर इन गहराइयों पर उतरें तो हमारे लिए वे द्वार खुल जाते है वहाँ ये सूक्ष्म तरंगे हमें उपलब्ध हो जाएं । उधर मशरीरी बारमाएं भी प्रेमपश, करुणास हमारी बालासोले को आतुर है, उत्सुक है। मन्दिरों में महापुरुषों की जो अचेत प्रतिमाएं प्रतिष्ठित है, वे भी उनकी प्रारीरी मारनामों से हमारा संपर्क कराने के ही साधन है। . मगवान् श्री व्यक्ति को किसी से नहीं लापना चाहते । जीवन में जो मूल्यवान् है वह स्वयं उपलब्ध करना होता है, यही उसकी मूल्यवत्ता है यदि वह दूसरे से प्राप्त किया जा सके तो वह मूल्यवान् नहीं रह पायेगा। सत्य स्वयं में निहित है जिसे चाहना बहन किसी से लिया जा सकता है, न किसी को दिया जा सकता है। जो सत्य पाने की माशा में किसी बाधित हो गये है, उनकी मुक्ति कले सम्भव है। यह तिगतो तिहास अन्य हैन शोष पन्थ । इतिहास अतीत की परमानों का संकलन है, शोष दिये गये तथ्यों का विश्लेषण है। इसमें ये दोनों नहीं है। इस ग्रंप में भगवान् श्रीबी ने योग के बल पर अतीत की कुछ घटनाओं अपना तावात्म्य स्थापित कर उन घटनाओं के तथ्यों में निहित कुछ ऐसे सस्यों का उद्घाटन किया है जो कालिक है। वे अतीत को मृत घटनाओं के सम्बन्ध में उत्सुक नहीं है; उनकी उत्सुकता उन घटनाओं में छिपे उन रहस्यों को उद्घाटन करने में है जिन रहस्यों के कारण वे घटनाएं मानवमात्र के लिए. मूल्यवान है । महावीर के जीवन से सम्म ऐसी अनेक घटनामों का रहस्य सप में प्रथम बार उघाटित हुमा है जिनके कारण उन घटनाओं को नया र्ष प्राप्त हो गया है। इन रहस्यों के बिना वे घटनाएं आज के युग में अविवसनीय मिष मात्र बन कर रह गई थीं। भगवान् श्री की व्याख्या से महावीर पीपन की वे घटनाएं मानों हमारे अपने ही जीवन की सम्भावित घटनाएं इस पंथ की वर्षवत्ता न तो इसमें है कि हम जो भगवान् श्री ने कहा है उस पर विश्वास कर लें और न तर्क-वितर्क द्वारा इस ग्रंप का सणन करने से ही किसी का कोई प्रयोजन सिद्ध होगा। यह ग्रंप शास्त्र नहीं है। इस पर एकेडेविकर्ण मितान्त पर्व है। इस एक मात्र प्रयोजन यह है कि पाठक स्वसामरवाये। रबी मिलीग में तीन बारे महत्वपूर्ण प्रथम उनका नितिनैतिक है। यह मूवाला है।
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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