SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५८ महाबीर : मेरो दृष्टि में हारे होंगे, जिन्दगी में, किसी मौके पर ।' लाओत्से कहता है, 'बिल्कुल नहीं ! कभी मैं हारा हो नहीं ! तो उसका रहस्य क्या था; राज क्या था ? लाओत्से कहता है, 'राज यह था कि मैं सदा हारा हुआ ही था। मैं पहले से ही हारा हुआ था । कोई मेरी छाती पर चढ़ने आता तो मैं जल्दी से लेट जाता और उसको बिठा लेता। वह समझता कि मैं जीत गया; मैं समझता कि खेल हुआ क्योंकि मैं पहले से हारा हुआ था । जीते क्या तुम ? तो मुझे कोई हरा ही नहीं सकता क्योंकि मैं सदा हारा हुआ हूँ ।" में 1 अब यह जो लाओत्से है, यह स्त्री के मार्ग का अग्रणी व्यक्ति है । यह हराई नहीं जाएगी । यह पूरी तरह हार जाएगी और आपको मुश्किल में डाल देगी । स्त्री किसी को हराने नहीं जाएगी और हारने के लिए जाकर मुश्किल में पड़ जाएगी । वह पूरी तरह हार जाएगी; पूर्ण आत्म-समर्पण कर देगी । वह कहेगी : तुम्हारी दासी हूँ, तुम्हारे चरणों की धूल हूँ। और तुम हैरान हो जाओगे कि अब वह तुम्हारे सिर पर बैठ गई, तुम्हें पता नहीं चलेगा । उसके जोतने का रास्ता हार जाना है, पूरी तरह हार जाना, सम्पूर्ण समर्पण । और जो स्त्री सम्पूर्ण समर्पण नहीं कर पाती, वह कभी नहीं जीत पाती, वह जीत ही नहीं सकती । इसलिए इस युग में स्त्रियाँ दुखी होती चली जाती हैं क्योंकि उनका समर्पण खत्म हुआ जा रहा है और वे भूल कर रही हैं । वे सोच रही हैं कि पुरुष जैसा हम भी करें। वे उसमें हार जाने वाली हैं। पुरुष का करना और ढंग का है । पुरुष के जीतने का मतलब है जीतना । स्त्री के जीतने का मतलब है हारना । उसका पूरा का पूरा मानस ही भिन्न है । इसलिए जो स्त्रो जीतने की कोशिश करेगी वह कभी नहीं जीत पायेगी । उसका जीवन नष्ट हो जायेगा क्योंकि वह पुरुष की कोशिश में लगी है जो कि उसके व्यक्तित्व की सम्भावना ही नहीं । और इसीलिए, पश्चिम में स्त्रियाँ बुरी तरह हार रही हैं क्योंकि वे पुरुष को जीतने की कोशिश में लगी हैं। वह बात ही उन्होंने छोड़ दी है कि 'हम समर्पण करेंगे, हम जीतेंगे । पुरुष को जीतने का एक ही उपाय था कि हार जाओ । इस तरह मिट जाओ कि पता ही न लगे कि तुम हो; और तुम जीत गए । पुरुष बच ही नहीं सकता; तुमसे जीत ही नहीं सकता । लाओत्से कहता है कि हम पहले से ही हारे हुए थे, इससे हमें कभी कोई हरा नहीं सकता | लाओत्से और महावीर का मार्ग बिल्कुल उल्टा है । एक दम । लाओत्से का मार्ग उन लोगों के महावीर का मार्ग उनके लिए हो उल्टा है, इसमें कोई समानता हो नहीं है लिए उपयोगी है जो हारने में समर्थ हैं,
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy