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महाबीर । मेरी दृष्टि में
रहेगा । इसलिए जो आदमी जिन शब्दों का प्रयोग करता है, उन शब्दों के लिए बहुत साफ दृष्टि साथ देनी चाहिए। मैं कह रहा हूँ कि भोग अन्ततः त्याग बन जाता है, लेकिन त्याग अन्ततः भोग नहीं बनता । एक वेश्या भी ब्रह्मचर्य को उपलब्ध हो सकती है लेकिन जो जबरदस्ती ब्रह्मचर्य थोप कर साध्वी बन गई है, उसका ब्रह्मचर्य को उपलब्ध होना बहुत मुश्किल है। एक वेश्या का अनुभव निरन्तर उसे ब्रह्मचर्य की दिशा में गतिमान करता है । लेकिन थोपा हुमा ब्रह्मचर्य निरंतर वासना की दिशा में गतिमान करता है।
प्रश्न : वे लोग जो खुद को कोड़े मारते हैं अथवा दूसरे को कोड़े मारते हैं, स्वयं को दुख देते हैं अपवा दूसरों को दुःख देते हैं वे सारे लोग कामशक्ति के विकृत रूप ( सेक्स परवदस) हैं। इसी ढंग से इषर हम जिन्हें त्यागी कहते हैं वे कामशक्ति के विकृत रूप हैं और निर्माता हैं साधु के । दोनों सेक्स परवत्स में क्या अन्तर है ? क्या हम दोनों को एक ही स्तर पर रख सकते हैं?
तर : आपकी बात बहुत ठीक है। सारे पिछले सौ वर्षों के मनोविज्ञान को खोज यह है कि दूसरे को दुःख देना या अपने को दुःख देना या दुःखियों को आदर देना या दुःख की सम्भावना को सहारा देना किसी न किसी प्रकार की कामशक्ति का विकृत रूप है। यह बिल्कुल ही सच बात है । इसे समझना जरूरी है । असल में काम या सेक्स निम्नतम सम्भावना है सुख को। समझना चाहिए कि काम प्रकृति के द्वारा दिया गया सुख है इससे कोई ऊपर उठे, और बड़े सुख को खोज ले तो फिर काम के सुख की जरूरत नहीं रह जाती। धीरे-धोरे काम रूपान्तरित हो जाता है और अन्ततः ब्रह्मचर्य बन सकता है लेकिन इससे बड़े सुख को न खोजें और इस सुख को भी इन्कार कर दें तो फिर दुःख को सम्माबनाएं शुरू हो जाती हैं। यह सीमारेखा है। कामवासना के नीचे दुःख की सम्भावनाएं हैं, कामवासना के ऊपर सुख की सम्भावनाएं है। अगर कोई बड़े सुखको खोज ले तो कामवासना से मुक्त हो जाता है। अगर कोई बड़े सुख को न खोजे और कामवासना को इन्कार कर दे तो नीचे दुःखों में उतर आता है।
तो कामवासना बीच की रेखा है जहाँ से हमारे सुख दुःखों में रूपान्तरित होते हैं । यह सीमारेखा है, जहां नीचे दुःख है, ऊपर सुख है। इसलिए दुःखी आदमी कामी हो जाता है। सुखी आदमी कामी नहीं होता। क्योंकि दुःखो के लिए ही सुख है । जैसे दरिद्र समाज है, दोन समाज है, दुःखी समाज है तो वह एकदम बच्चा पैदा करेगा। गरीब आदमी जितने बच्चे पैदा करता है, अमोर