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________________ प्रश्नोत्तर-प्रवचन-२ . ., ४३ शास्त्र बन जाता है वहां सत्य मर जाता है. यदि यह स्मरण रखें तो शास्त्र बनने की उम्मीव मिटती है, आशा मिटती है, लेकिन फिर भी बन सकता है । इसलिए लड़ाई जारी रहेगी। इसलिए किसी पानी पर लड़ाई खत्म नहीं हो जायेगी । सानी होंगे और माने वाले शानियों को उनका सपन करना होगा। यह बड़ा कठोर कृत्य है लेकिन प्रेम इतना कठोर भी होता है । यह बड़ा कठोर कृत्य है। एक जोन फकीर हुए हैं। अब जेन फकीर बुद्ध के अनुयायी हैं । नेकिन जेन फकीर अपने अनुयायियों से कहते हैं कि अगर बुद्ध बोच में आएं तो एक चांटा मारकर अलग कर दें; और आयेगा बुद्ध बीच में तुम्हारे । परम ज्ञान के उपलब्ध होने के पूर्व बुद्ध तुम्हारे बीच में मार्ग रोकेगा तो एक चांटा मार कर अलग कर देना। एक जोन फकोर का तो यहां तक कहना है कि यदि बुद्ध का मुंह में नाम आए तो पहले कुल्ला करके मुख साफ कर लेना फिर दूसरा काम करना। तो उसमे पूछो कि तुम यह क्या कहते हो ? और बुद्ध की मूति रखते ही मन्दिर में । वह कहता है-यह दोनों ही सही हैं । बुद्ध से हमारा प्रेम है लेकिन यदि बुद्ध किसी के आड़े आ जाए तो उससे हमारी लड़ाई है। और इसके लिए बुद्ध का आशीर्वाद हमको मिला हुआ है। यानी बुद्ध से हमने यह पूछ लिया है कि हम लोगों से यह कह दें तो कुछ बुरा तो नहीं कि तुम्हारा नाम मुख में आ जाए तो कुल्ला करके साफ कर लेना। अब यह आदमी समझने में मुश्किल हो जाएगा। लेकिन यह आदमी है और यह ठीक कह रहा है। एक तरफ यह मूर्ति रखे हुए है, रोज सुबह उसके सामने फूल भी रख आता है और दूसरी तरफ लोगों को समझाता है कि बुद्ध से बचना । इससे खतरनाक आदमी ही नहीं हुआ है और इसका नाम भी मुख में आए तो कुल्ला करके साफ कर लेना, इतना अपवित्र है यह नाम । और कहता है कि बुद्ध से पूछ लिया है, आशीर्वाद ले लिया है कि हां यह करो। अब इसका मतलब क्या है ? इसका मतलब यह है कि हर चीज बाधा बन जाती है। असल में जो भी सीढ़ी है वह मार्ग का पत्थर भी बन सकती है और जो भी पत्थर है वह मार्ग की सीढ़ी भी बन सकता है । सब कुछ बनाने वाले पर निर्भर है। और जब पुरानी सीढ़ी पत्थर बन जाती है तो उसे हटाने की बात करनी पड़ती है, मिटाने की बात करनी पड़ती है। यह लड़ाई निरन्तर जारी रहेगी। इस लड़ाई को रोकना मुश्किल है। यानी मैं जो कहकर जाऊंगा कल किसी को हिम्मत जुटा कर उसे गलत कहना ही पड़ेगा। मैं जो कहकर जाऊंगा, मुझे प्रेम करने वाले किसी व्यक्ति को मेरे खिलाफ लड़ना ही पड़ेगा। इसके सिवाय कोई उपाय ही नहीं क्योंकि वे सुनने वाले
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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