SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 511
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महावीर : मेरी दृष्टि में . जब हम कहते हैं कि सहारा नहीं लेना है तो इसका कुल मतलब इतना है कि भीतर जाने में मैं किसी को साथ नहीं ले सकता हूँ। भीतर मुझे अकेला हो जाना होगा। अकेले ही जाने का एकमात्र मार्ग है वहां पहुंचने का । इसलिए मैं सब सहारे इन्कार करता हूँ। लेकिन अगर यह बात मैं किसी को कहने जाऊं कि सहारा लोगे तो भटक जाओगे तो एक अर्थ में मैं उसको सहारा दे रहा हूँ और एक अर्थ में उसे सहारे से बचा रहा हूँ। यह दोनों बातें हैं । महावीर जो सहारा दे रहे हैं वह इसी तरह का सहारा है। वह लोगों को कह रहे हैं कि मैं अकेला भीतर गया। जब तक मैंने सहारा पकड़ा तब तक मैं भीतर नहीं गया; तुम भी तो कहीं सहारा नहीं पकड़ रहे हो ? अगर सहारा पकड़ रहे हो तो भीतर नहीं जा सकोगे । बेसहारे हो जाओ। मैं जो कहता हूँ लोगों से कि किसी विधि से तुम न जा सकोगे यह केवल मैं खबर कर रहा हूँ कि विधि के चक्कर में मत पड़ना, नहीं तो भटक जाओगे । मैं भटका हूँ। यह खबर मैं तुम्हें दे देता हूँ। यह मुझे हक है कि मैं किसी को इतनी बात कह दूं कि विधि से कभी कोई नहीं पहुंचा है, इसलिए तुम विधि मत पकड़ना। और मेरी भी बात मत पकड़ना । इसको भी तुम खोज-बीन करना क्योंकि इसको भी अगर तुमने पकड़ा तो यह तुम्हारो विधि हो जाएगो । यूनान के नीचे सिसली एक छोटा सा द्वीप है। वहाँ सूफिस्ट विचारक हुए जो बड़े अद्भुत थे एक अर्थ में और एक अर्थ में बिल्कुल फिजूल थे। अद्भुत इस अर्थ में थे कि जितना तर्क उन्होंने किया किसी ने भी नहीं किया और फिजूल इस अर्थ में थे कि उन्होंने सिर्फ तर्क किया और कुछ भी नहीं किया । तो वे प्रत्येक चीज को खंडित कर सकते थे और प्रत्येक चीज का समर्थन कर सकते थे। क्योंकि उनका कहना था कि कोई भी चीज ऐसी नहीं है जो एक पहलू से खरित न की जा सके और दूसरे पहलू से समर्थित न की जा सके । इसलिए वे कहते थे कि यह सवाल ही नहीं है कि सत्य क्या है। सवाल यह है कि तुम्हारा दिल क्या है, तुम्हारो मर्जी क्या है ? तो वे कहते थे कि हम पैसे पर भी सत्य को सिद्ध करते हैं। उनको कोई नौकरी पर रख ले तो वह जो कहेगा वे उसको सत्य सिद्ध कर देंगे और कल उससे विपरीत आदमी उनको नौकरी पर रख ले तो वह उसकी बात सिद्ध कर देंगे। उनका कहना था कि कोई चीज सिद्ध ही नहीं है। जिन्दगी इतनी जटिल है कि उसमें सब पहलू मौजूद हैं और तर्क देने वाला सिर्फ उस पहलू को जोर से कार उठा लेता है जो पहलू वह सिद्ध करना चाहता है और शेष पहलुओं
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy