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________________ प्रश्नोत्तर-प्रवचन-१८ ५७७ जिस दिन कोई देख पाता है वास्तविक जिन्दगी को तब हैरान होता है कि असली जिन्दगी के नाटक में राम और रावण जब पर्दे के पीछे चले जाते हैं तब चाय पीते हैं और गाशप करते हैं। सब झगड़े खत्म हो जाते हैं। लेकिन वह ग्रोन रूम जरा गहरे में छिपा है और पर्दा बहुत लम्बा है । और पर्दे के बाहर ही हम पूरे वक्त रहते हैं कि हमें पता ही नहीं है कि पोछे ग्रीन रूम भी है। तो हम एक बड़े नाटक के हिस्से हैं, कभी आपने सोचा, एक नाटक के पात्र की तरह कभी देखा, कभी सुबह उठकर स्माल किया कि एक नाटक शुरू होता हैगेज सुबह । रात थक जाते हैं, एक नाटक का अन्त हो जाता है, फिर सुबह उठते हैं, नाटक शुरू हो जाता है। और कभी आपने सोचा कि कई बार आपको ध्यान रखना पड़ता है कि नाटक में भूत-चूक न हो जाए। एक फैन नित्रकार अमेरिका जा रहा था। उसके भुलक्कड़ होने की बड़ी कहानियां हैं। उसकी पत्नी और उनकी नौकरानी, दोनों उसको बिदा देने एयरपोर्ट आई। उसने जल्मो में नौकरानी को चूम लिया और पत्नी को कहा कि खुश रहमा का काट रहना, और वे दोनों घबरा गई। उसकी पत्नी ने कहा : यह क्या करते है। बात नहीं करते कि वह नौकरानी है, उसको आप चमते हैं और मुझे नोकरानी बनाते हैं, मैं आपको पता हूँ। उसने कहा : चलो, बदले देता है। फिर पत्नी को ना लिया और नौकरानी को नहा : बच्चों का ख्याल रखना और कहा कि कमी-मानी चा जाता है, ख्याल नहीं रख पाता। तो कुछ लोग ख्याल रखनाते, कुछ लोग चक जाते हैं। यह मेरा पिता है. यह मेरी पत्नी है, यह मेरा बेटा है इसका हमें ख्याल रखना पड़ता है चोवीस घंटे और अगर न ख्याल रखें तो दूमर हम पाल दिला देते हैं कि वह तुम्हारे पिता हैं, या खुद आदमी हपाल दिला देता है कि मैं तुम्हारा पिता हूँ। वह नाटक हमें पुरे वक्त याद रखना पड़ता है कि कहीं भूल न जाएं, कहीं चूक गझो जाए। और जो इस नाटक का जितना अच्छी तरह से निकाह लेता है, नाना कनिष्ठ है। मैं यह नहीं कहता हूँ कि नाटक न निभाएँ। नाट निमान के लिए ही है और बड़ा मजेदार भी है। इनमें कुछ ऐसो तकलीफ भी नहीं है। बम एक माल न भूल जाएँ, और चाहे सब भूल जाएं कि यह सिर्फ नाक है और कही गोलर हमारे एक बिन्तु है जहाँ हम सदा बाहर हैं। ३७
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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