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महावीर : मेरी वष्टि में
होगी तो वह पशु के प्रति भी क्षीण होगी, मनुष्य के प्रति भी क्षीण होगी। मगर जन्म के साथ शाकाहारी हो जाता है आदमी और कठोरता क्षीण नहीं होती । क्योंकि जीवन एक तरह से बहुत ही शक्तियों का ताल-मेल है, उसमें अगर कुछ शक्तियां भीतर पड़ी रह जाती हैं तो मुश्किल पड़ जाती है । जैसे उदाहरण के लिए इग्लैंड भर में विद्यार्थियों का कोई विद्रोह नहीं और उसका कुल कारण इतना है कि इंग्लैंड के बच्चों को तीन घंटे से कम खेल नहीं खेलना पड़ता । तीन घंटे हाकी, फुटबाल-इस तरह थका डालते हैं कि तीन घंटों में उसकी सारी की सारी उपद्रव की प्रवृत्ति निकास पा जाती है । तो वह घर शांत होकर लौट आता है । इंग्लैंड के लड़के को उपद्रव के लिए कहो तो वह उपद्रव को हालत में नहीं है। जिन मुल्कों में खेल बिल्कुल नहीं है-जैसे हमारा मुल्क है, जैसे फ्रांस है खेल करीब-करीव न के बराबर है-उपद्रव बहुत ज्यादा है । अब वह ख्याल में नहीं आता कि एक नियत व्यवस्था है कि एक लड़के को कितना उपद्रव करना जरूरी है। खेल का मतलब है व्यवस्थित उपद्रव । लट्ठ मार रहा है गेंद में एक आदमी । वह उतना हो है जैसे कोई खोपड़ी में लट्ठ मारे। व्यवस्थित उपद्रव अगर करवाते हैं तो उपद्रव कम हो जाएगा । और व्यवस्थित उपद्रव नहीं करवाते तो फिर अव्यवस्थित उपद्रा बढ़ेगा। इन सबके भीतर हमारी एक निश्चित मात्रा है जो निकलनी चाहिए एक उम्र में । उसका निकलना बहुत जरूरी है।
___ अब जैसे एक आदमी जंगल में लकड़ी काटता है। यह आदमी एक दुकान में बैठे हुए आदमी से ज्यादा करुणावान् हो सकता है। कारण कि काटने पोटने का इतना काम करता है वह कि काटने पीटने को वृत्ति मुक्त हो जाती है । वह ज्यादा दयालु मालूम पड़ेगा। एक दुकान पर बैठा हुआ आदमी दयालु नहीं हो सकता क्योंकि उसके काटने-पीटने की वृत्ति मुक्त नहीं हुई। जंगल का एक चरवाहा है। वह भेड़ों को चरा रहा है । उसके चेहरे पर कैसी शांति प्रकट होगी । कारण कि वह जानवरों के साथ जो व्यवहार कर रहा है-डंडा मार रहा है, गाली दे रहा है, कुछ भी कर रहा है-वह व्यवहार आप भी करना चाहते हैं लेकिन कोई नहीं मिलता, किससे करें । पत्नी से करते हैं, बेटे से करते है, नये-नये बहाने खोजते हैं कि बेटे का सुधार कर रहे हैं, लेकिन भीतरी कारण बहुत दूसरे हैं । इसलिए अक्सर ऐसा होता है कि गांव का किसान ज्यादा शांत मालूम पड़ता है । उसका कारण है कि काट-पीट के इतने काम उसको मिल जाते हैं, दिन भर में वृक्षों को काट रहा है, पौधों को काट रहा