SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 425
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्नोत्तर - प्रवचन- १५ ૪૭ है, जानवरों को मार रहा है कि वह शान्त हो जाता है । काट-पीट के इतने काम आपको भी मिल जाएँ तो आप भी शान्त हो जाएँगे । मगर आपको नये रास्ते निकालने पड़ते हैं इसके लिए । आप भी किसी को कोड़ा मारना चाहते हैं । मारें कैसे ? तो हमारे मन को वृत्तियाँ फिर नये-नये रास्ते खोजती हैं । और वे नये उपाय खतरनाक सिद्ध होते हैं । इसलिए मेरा कहना है कि वृत्तियां जाननी चाहिएँ, आचरण बदलने का जोर गलत है । मैं किसी को नहीं कहता कि कोई शाकाहारी हो। मैं कहता हूँ : अगर मांसाहार करना है तो मांसाहार करो। इतना जरूर कहूँगा कि यह कोई बहुत ऊँचे चित्त को अवस्था नहीं है । कुछ और ऊँचे चित्त की अवस्थाएँ हैं जिनके खोजने से मांसाहार छूट सकता है। लेकिन मांसाहार छूट जाए और आपकी स्थिति वही रहे तो आप दूसरे तरह के मांसाहार करेंगे जो ज्यादा मंहगे साबित होने वाले हैं । S तो हिन्दुस्तान कठोर हो गया है और हिन्दुस्तान में जो लोग गैर मांसाहारी हैं, वे बहुत कठोर हो गए हैं । एक आदमी कभी दो-चार साल में एक बार कठोर हो जाए तो ठीक है । मगर एक आदमी चौबीस घंटे कठोर रहे तो वह ज्यादा मँहगा पड़ जायेगा । इसलिए बड़े आश्चर्य की बात है कि बर्बर मनुष्य भी हैं जो कच्चे आदमी को खा जाएँ, लेकिन बड़े सरल हैं । आप जाकर कारागृह में देखें कैदियों को । कैदी एकदम सरल मालूम पड़ता है बजाय उन लोगों के जो मजिस्ट्रेट बने बैठे हैं । एक मजिस्ट्रेट की शक्ल देखें और उसके सामने कारागृह में जिसको उसने दस साल की सजा दे दी है, उस आदमी को शक्ल देखें तो अन्तर स्पष्ट हो जायेगा | अब हो सकता है कि दस साल की सजा देने में इस आदमी के भीतर रस हो - कानून तो ठीक ही है, कानून सिर्फ बहाना हो, तरकीब हो, खूंटी हो । मानो वह आदमियों को सताने के यह उपाय खोज रहा है । मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि हर आदमी मजिस्ट्रेट नहीं होता; हर आदमी शिक्षक नहीं होता । मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि शिक्षक वे लोग होना चाहते हैं जो बच्चों को सताना चाहते हैं । उनके भीतर बच्चों को सताने की वृत्ति है। तीस बच्चे मुफ्त मिल जाते हैं, तनख्वाह भी मिलती है । और बच्चों को ढंग से सताते हैं और वे बच्चे कुछ कर भी नहीं सकते । बिल्कुल निहत्थे वे है । सौ में से सत्तर शिक्षक सताने वाले मिलेंगे । यानी जिनको अगर आप शिक्षक न होने देते तो वे और कहीं सताते । दिन भर सता कर शिक्षक बहुत सीधा-सादा हो जायेगा । जब वह लोटता है घर तो वह बहुत अच्छा आदमी, बहुत भला आदमी मालूम पड़ता है । वह कितना भला आदमी है क्योंकि वह अपना बुरा मन तो निकाल लेता है । ३२
SR No.010413
Book TitleMahavira Meri Drushti me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherJivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai
Publication Year1917
Total Pages671
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy